कलिजीवो के कल्याण का साधन है श्रीमद् भागवत कथा -आचार्य श्री रामानुज युवराज पांडेय जी
संवाददाता कृष्ण कुमार त्रिपाठी जिला उपब्यूरो कलिजीवो के कल्याण का साधन है श्रीमद् भागवत कथा -आचार्य श्री रामानुज युवराज पांडेग्राम अमलीपदर में चल रहे तिवारी परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान सप्ताह यज्ञ में कथावाचक आचार्य पंडित रामानुज यूवराज पांडेय जीने कलिजीवो के उद्धार का कारण उपाय श्रीमद्भागवत को बताया पवित्र श्रावण मास के प्रथम सोमवार से कथा आरंभ हुआ है जोकि 26।7 ।22 दिन मंगलवार तक चलेगी कथा प्रसंग से आचार्य जी के मुख से गृह ग्राम एवं समस्त क्षेत्रवासी बड़े प्रसन्न हैं एवं बड़े भाव विभोर से तथा श्रवण कर रहे हैं प्रतिदिन श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है एवं मुख्य यजमान धनेश्वर तिवारी एवं श्रीमती हिरोन्दी तिवारी आचार्य जी के मुख से कथा रसपान करके भक्तिमय में हो रहे हैं आचार्य जी द्वारा गाए गए शास्त्री संगीत लोक संगीत उड़िया संगीत तीनों के त्रिवेणी संगम से गांव पूरा भक्ति के रस में ओतप्रोत हो रहे हैं आचार्य जी के संस्कृत पाठ एवं बोलने की शैली को देख कर के ग्राम अमलीपदर के सभी लोग हैरान रहते हैं क्योंकि आचार्य जी का जन्म स्थान ग्राम अमलीपदर में हुआ और उनका पढ़ाई खेलना कूदना यही बड़े हुए फिर समझ पाना कठिन है कि इतनी ज्ञान कैसे आया यह कहना मुश्किल है कथा के दरमियान आचार्य जी ने अनेक प्रकार के पुराण वेद शास्त्र उपनिषदों बहुत सारे रामायणों की कथाओं का वर्णन किया आज के कथा प्रसंग में आचार्य जी ने भगवान श्री राम कथा एवं श्री कृष्ण जन्म का वर्णन किया और बताएं कि जब-जब धर्म में ग्लानी उत्पन्न होता है और अधर्म का साम्राज्य बढ़ता है तब तक परमात्मा किसी ना किसी स्वरूप में इस भूमि पर अवतरण लेते हैं और अधर्म का विनाश कर धर्म की रक्षा करते हैं और परमधाम को गमन करते हैं आपको ज्ञात हो कि आचार्य जी को भागवत भास्कर, मानस मार्तंड, मानस मर्मज्ञ ,धर्मसिंधु उपाधि मिला है आचार्य जी ने अपने नाम के आगे और पीछे केवल श्री जगन्नाथ मंदिर अमलीपदर ही लिखवाते आते हैं एवं किसी प्रकार से भी उपाधि का प्रयोग अपने नाम में नहीं करते प्रेस वार्ता में आचार्य जी से जब पूछा गया तब आचार्य जी ने बताया कि उनका अपना परिचय श्री जगन्नाथ जी के अलावा और कुछ भी नहीं हैं श्री जगन्नाथ मंदिर ही उनका सर्वस्व हैं जगन्नाथ मंदिर के दास, भिखारी इन्हीं उपाधि के अतिरिक्त अपने नाम के पीछे और कोई उपाधि नहीं लगाना चाहते आचार्य ने बताया कि अपना परिचय दुनिया को महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी के सिंहद्वार के भिखारी के अलावा उनके लिए गौरव की उपाधि और कुछ भी नहीं है इस प्रकार श्रीमद् भागवत कथा निज गृह ग्राम में चतुर्थ बार हुआ है और संजोग की बात यह है आचार्य जी का प्रथम भागवत और 100 भागवत निजी ग्राम में ही पूर्ण हुआ है आचार्य जी का वर्तमान में चल रही भागवत 122 भागवत है निज ग्रह ग्राम में चल रहे है ग्राम वासी भक्ति में मगन होकर के श्रद्धा एवं भक्ति के साथ कथा श्रवण का लाभ ले रहे हैं एवं प्रतिदिन कथा स्थल में पहुंच रहे हैं।