भाजपा से समर्थन वापस लेने पर दोराहे पर खड़ी शिवसेना !
क्या पार्टी में संभावित टूट की आशंका से सशंकित है उद्धव ठाकरे ?
मुंबई। इन दिनों में शिवसेना दोराहे पर खड़ी हो गई है. केंद्र व राज्य में भाजपा द्वारा अहमियत नहीं देने से शिवसेना और बीजेपी के बीच सियासी तकरार बेहद रोचक हो चला है. वहीं भाजपा में नारायण राणे के संभावित प्रवेश पर शिवसेना अपनी वर्षों पुरानी पुरानी सहयोगी भाजपा से खासे नाराज है. मगर राणे के मुद्दे पर शिवसेना कुछ खुलकर बोल तो नहीं रही मगर महंगाई का हवाला देकर शिवसेना ने केंद्र की मोदी सरकार और महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दी है. वहीं सूत्रों की माने तो शिवसेना के ही 63 विधायकों में से 25 विधायकों को पार्टी आलाकमान का यह फैसला रास नहीं आ रहा है. शिवसेना के 25 विधायकों ने साफ कहा है कि वे फडणवीस सरकार से समर्थन लेने के संभावित फैसले से कतई सहमत नहीं हैं. ज्ञात हो कि सोमवार को शिवसेना प्रमुख उद्भव ठाकरे द्वारा बुलाई गई बैठक में इन विधायकों ने पार्टी के ऐसे किसी भी कदम का पुरजोर विरोध किया. इस बैठक में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों का विरोध, मौजूदा सियासी तकरार और अन्य कई अहम मसलों पर चर्चा हुई. इस बैठक में शिवसेना के सांसद, विधायक और मंत्री मौजूद थे. इस दौरान सभी विधायकों और सांसदों को अपना मोबाइल फोन मीटिंग हॉल में प्रवेश करने से पहले ही जमा करने को कहा गया. हालांकि कुछ विधायक फोन बैठक में ले जाने में कामयाब रहे और मीडिया को साफ पता चल गया कि अंदर क्या चल रहा है. ठाकरे ने सोमवार को संकेत दिया था कि यदि फडणवीस सरकार सही तरीके से प्रदेश में विकास नहीं करेगी तो उनकी पार्टी समर्थन वापस लेने पर विचार कर सकती है. ऐसे में पश्चिम महाराष्ट्र के कई विधायकों ने इस फैसले का पुरजोर विरोध किया. इन विधायकों ने कहा कि हमारे पास चुनाव लड़ने के लिए फंड नहीं है और हम ‘मनी पावर’ में बीजेपी का कतई मुकाबला नहीं कर सकते हैं. बैठक में शिवसेना के मंत्रियों और विधायकों में जमकर जुबानी जंग होने की भी चर्चा राजनीतिक गलियारे में छाई हुई है. खबरों की मानें तो महाड के शिवसेना विधायक भरत गोगवले ने सख्त लहजों में कहा कि विधायकों को पार्टी के मंत्री कभी-कभार ही मदद करते हैं. उनका कहना था कि अक्टूबर में ग्राम पंचायत का चुनाव होना है. हमें नहीं पता कि मंत्री हमें कैसे मदद करेंगे’ क्या वे पार्टी को मदद करेंगे? गौरतलब है कि शिवसेना नेता संजय राउत ने सोमवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था, ‘बेतहाशा बढ़ती महंगाई और किसानों के मुद्दे अब तक सुलझे नहीं हैं. हम इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं और यह दाग नहीं झेलना चाहते. केंद्र सरकार में हम बने रहेंगे या सरकार से नाता तोड़ेंगे, इसका फैसला जल्द ही पार्टी बैठक के बाद लिया जाएगा.’ उल्लेखनीय है कि केंद्र और महाराष्ट्र में सरकार का सहयोगी होने के बावजूद शिवसेना और बीजेपी के बीच लंबे समय से रस्साकशी चल रही है. हाल ही में मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार को शिवसेना ने भाजपा का विस्तार बताया था. गौरतलब है कि मंत्रिमंडल विस्तार में सहयोगी दलों के किसी सदस्य को मंत्री नहीं बनाया गया था. वहीं अब किसी भी वक्त महाराष्ट्र मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है. सूत्र बताते हैं कि फडणवीस मंत्रिमंडल विस्तार में शिवसेना को कोई तवज्जो नहीं दी जाएगी. शायद इस बात की भनक शिवसेना को लग चुकी है, क्योंकि हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में 18 लोकसभा सांसदों वाली शिवसेना की अनदेखी की गई. जानकारों की माने तो शिवसेना राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण राणे को भाजपा में प्रवेश नहीं होने देना चाहती है. इन सब बातों को ध्यान में रखकर शिवसेना भाजपा से समर्थन वापस लेने की धमकी दी है. लेकिन शिवसेना के 25 विधायक सरकार से समर्थन वापस लेने के मूड में नजर नहीं आ रहे हैं. सूत्र बताते हैं कि पार्टी में संभावित टूट की आशंका से उद्धव ठाकरे सशंकित हैं.