गरियाबंद जिला जल संसाधन विभाग अंतर्गत पैरी दाई मुख्य नहर व फिंगेश्वर डिस्ट्रीब्यूटर शाखा में हो रहे नहर लाइनिंग कार्य में विभाग के अधिकारियों और ठेकेदार द्वारा जमकर लीपापोती करते हुए भ्रष्टाचार को खुलेआम अंजाम दिया जा रहा है

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संवाददाता कृष्ण कुमार त्रिपाठी अमलीपदर जिला उपब्यूरो गरियाबंद जिला जल संसाधन विभाग अंतर्गत पैरी दाई मुख्य नहर व फिंगेश्वर डिस्ट्रीब्यूटर शाखा में हो रहे नहर लाइनिंग कार्य में विभाग के अधिकारियों और ठेकेदार द्वारा जमकर लीपापोती करते हुए भ्रष्टाचार को खुलेआम अंजाम दिया जा रहा है। निर्माण कार्य में मापदंडों के विपरीत गुणवत्ताहीन मटेरियल का इस्तेमाल कर शासन की सबसे • बड़ी योजना को पपीता लगाने का खेल जलसंसाधन विभाग में खूब खेला जा रहा है जिससे शासन को करोड़ो रुपए का चूना लग रहा है। सरकार की महत्वपूर्ण किसान हितेषी नहर लाइनिंग कार्य को घटिया तरीके से निर्माण कर करोड़ो रुपए की राशि को बंदरबांट करने की नियत से जिम्मेदार अधिकारी और ठेकेदार द्वारा निम्न स्तर का कार्य किया जा रहा है जो किसी से नहीं छिपा है । राजिम, फिंगेश्वर और पांडूका सब डिवीजन में चल रहे निर्माण कार्य में कुछ • दिनों में ही पोल खोल कर रख दिया। जहा नहर लाइनिंग कार्य में जिधर देखो दरार ही दरार दिखाई देता है। जबकि लाइनिंग कार्य हुए ठीक से साल भर भी नहीं हुआ है। लेकिन आगे और क्या हश्र होगा ये तो आने वाला वक्त बदस्तूर घटिया से घटिया निर्माण कार्य का पूरा पोल खोलेगा। जिसका लोगों को भी बेसब्री से इंतजार रहेगा। शासन के इतने बड़े महत्वपूर्ण कार्य में जिस तरह से अनिमित्तता, लापरवाही और भ्रष्टाचार करने नायाब तरीका जलसंसाधन विभाग और उसके ठेकेदार ने निकाला है, उससे तो यही लग रहा है की विभाग के अधिकारी और ठेकेदार एक ही बार में करोड़ पति बनने का सपना देख रहे है। गरियाबंद जल संसाधन विभाग अमिताभ बच्चन के कौन बनेगा करोड़पति सो को भी पीछे छोड़ दिया। क्योंकि अमिताभ बच्चन के कौन बनेगा करोड़ पति सो में तो राशि जितने कड़े मेहनत करना पड़ता है। लेकिन जल संसाधन विभाग के अधिकारी केवल थूक पालिश कर करोड़ो कमाने में लगे है।गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ शासन जल संसाधन विभाग द्वारा गरियाबंद जिले के विभिन्न नहरों के विकास और निर्माण कार्य के लिए अरबों रुपए की राशि किसानों को बेहतर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से दिया गया है। जिसमें नहरों को काक्रीटीकरण किया जाना है। जिसका बड़ा फायदा किसानों को यह है कि नहरों में छोड़ा गया पानी आसानी से और अविलंब किसानों के खेतों तक पहुंचेगा और किसानों को अपनी फसलों को सिंचाई हेतु ज्यादा मशक्कत नहीं करना पड़ेगा। अधिकतर देखा जाता था कि पहले नहर का लाखों लीटर पानी लीकेज होकर नदी नालों में बेवजह बह जाता था। इससे किसानों को सिंचाई के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता था और उनकी फसलों को काफी नुकसान पहुंचता था। किसानों की इसी समस्या को दूर करने शासन ने नहर लाइनिंग कार्य हेतु अरबों रुपए की राशि स्वीकृत की है। लेकिन ठेकेदार द्वारा मनमानी करते हुए विभाग के साथ सांठगांठ कर राशि को बदरबाट करने निर्माण कार्य में लीपापोती करते हुए घटिया स्तर का निर्माण कार्य किया जा रहा है विभाग के संरक्षण में ठेकेदार द्वारा स्टिमेंट के सारे नियम कायदा कानून ताक में रखकर मापदंडों के विपरीत निम्न स्तर का कार्य किया जा रहा है। जिसके चलते नहर लाइनिंग का कार्य हुए साल भर भी नहीं हुआ है और अभी से भ्रष्टाचार की दरारें जगह जगह साफ दिखाई दे रही है। कुल •मिलाकर कहा जाए कि शासन की करोड़ो की राशि पर जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों और ठेकेदार गिद्ध की तरह नजर बनाए हुए है। जो राशि बचाने घटिया निर्माण कर शासन की राशि को बंदरबांट करने में लगे है। लेकिन किसी को भी शासन के कार्यों और आम जनता से कोई सरोकार नहीं है। कहने को तो क्षेत्रीय विधायक सहित अनेक जनप्रतिनिधि और नेता है। लेकिन इन्हें आयोजनों में वाहवाही और मीडिया में सुर्खियां बटोरने के आलावा इनके पास शासन द्वारा कराए जा रहे महत्वपूर्ण कार्यों की ओर झाकने तक की फुर्सत नहीं है। नतीजन शासन के नुमाइंदे अपने मनमानी पर उतारू होकर शासन को चुना लगाने में तुले हुए है। वही जलसंसाधन विभाग के नवपदस्थ ईई के कार्यों पर भी सवाल उठने लगा है। क्योंकि इससे पहले पदस्थ रहे ईई पी. के. आनंद द्वारा निर्माण कार्यों में लापरवाही पर पर्दा डाल अपने जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी सहित ठेकेदार को सरंक्षण देने में लगे थे। जिसे वर्तमान में पदस्थ जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता आशुतोष सारस्वत द्वारा भी पुनरावृत्ति की जा रही है।वर्जन,”क्या होता है लाइनिंग का जो प्रोसेस होता है उसमे कुछ न कुछ कही न कही थोड़ा बहुत सेटलमेंट होता है। एग्रीमेंट परेड में जो भी पैनल खराब हुआ है उसको तुड़वाकर नया बनाने का हमारा प्रावधान भी होता है।19-20 तो होता ही है अभी ठेकदार को पूरा पैसा तो मिला नहीं है। सभी एसडीओ को निर्देश दिए है और ठेकेदारों को भी पत्र जारी करेंगे। अभी सिक्योरिटी परेड में है जहा जहा दरारें है उसको तोड़कर रिपेयर किया जायेगा”

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