श्रद्धालुओं की मन लुभा रही प्रसिद्ध राजिम मेला
उरेन्द्र साहू 9302034542
कोपरा / छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध राजिम माघी पुन्नी मेला इन दिनों आकर्षण का केन्द्र बने हुए है, यहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ पहंुच रही है। प्रदेश के कोने-कोने से लेकर राजस्थान, हिमांचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, अरूणांचल प्रदेश समेत देश कई राज्यों से लोग शनैः शनैः कर पहुंचकर कोई मेला का लुप्त उठा रहा है तो कोई मंदिर दर्शन कर भगवान श्रीराजीव लोचन एवं कुलेश्वरनाथ महादेव से मन में ही सही दिल की बात बता रहे है।
एक तरह से मनौती के रूप में ईश्वर से याचना कर रहे है। 10 किमी से भी अधिक क्षेत्रफल में फैले राजिम मेला का इतिहास हजारों साल पुराना बताया जाता है। जब कोई पहुंचने के साधन नहीं थे तब बैलगाड़ी, पैदल चलते हुए अपने रोजमर्रा के समान लेकर मेला में डेरा लगाते थे। इस समय सप्ताहभर का टूर बनाते थे तो कोई लगातार 15-20 दिनों तक यहीं रूककर व्यापार करते थे। मध्ययुगीन भारत में लेन-देन का प्रमुख स्थान था। चूंकि पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई से पता चला है कि लोथल जमाने के बंदरगाह राजिम से तकरीबन 25 किमी की दूरी पर सिरकट्टी आश्रम में पैरी नदी पर स्थित है उस समय यह प्रमुख व्यापारिक मार्ग था। नदी मार्ग से राजिम होते हुए आगे बढ़ते थे। पंडित सुंदरलाल शर्मा चैक से लगा हुआ मेला मैदान में तीन बड़ी-बड़ी गलियां है जिसमें सैकड़ों दुकाने लगी हुई है। खाद्य पदार्थ से लेकर जरूरत के समान एवं मजा लुटने वाले झुला जैसे अनेक आयटम लोगों को बरबस ही अपनी ओर खींच लाती है। मौत का कुंआ, क्राफ्ट बाजार जैसे लुभावनी वस्तुओं की विशेष मांग रहती है।
वहां से चलते हुए संगम स्थित अस्थाई शहर के रूप में नदी की रेत पर बसे सरस मेला, मुख्य महोत्सव मंच, विभागीय स्टाॅल, महानदी महाआरती घाट, स्नान कुंड, सांस्कृतिक मंच, चैतन्य झांकियां, प्रवचन मंच, लोमष ऋषि आश्रम, श्रीकुलेश्वरनाथ महादेव का मंदिर जैसे ठहराव के अनेक स्थल है जिसमें लाखों लोग विचरण कर रहे है। सुबह से देर रात तक लोग भरपुर मेला का लुफ्त उठा रहे है। छत्तीसगढ़ शासन के मंत्रियों का प्रतिदिन आगमन के दौरान हितग्राहियों को उनकी जरूरत की सामग्री देकर लाभांवित करने की योजना खासा भा रही है। मुख्य सांस्क्रतिक मंच में छत्तीसगढ़ी संस्कृति की लोक छटा बिखर रही है। पूरा मेला क्षेत्र न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि हिन्दुस्तान का प्रमुख स्थल है। इस कार्य में जिले के उच्चाधिकारी से लेकर कनिष्ठ तथा स्थानीय लोग सफल बनाने में एड़ी चोटी एक कर दिये है और इस तरह से राजिम माघी पुन्नी मेला का इतिहास नई-नई ईबारत लिख रही है।