नवापारा के कर्मा माता मंदिर में राजिम भक्तिन माता जयंती सम्पन्न.

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कृष्णा मेश्राम-संवाददाता सर्वोच्च छत्तीसगढ़ न्यूज़

मो-8770229548


नवापारा राजिम-गोबरा नवापारा के काली माता मंदिर के समीप स्थित कर्मा माता मंदिर में प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी नवापारा नगर परिक्षेत्र साहू समाज द्वारा 14 जनवरी मकर संक्रांति के पावन पर्व पर राजिम भक्तिन माता जयंती नगर स्तर पर मनाया गया इस बार कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए समाज प्रमुखों द्वारा कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए भव्य शोभायात्रा को स्थगित कर मंदिर परिसर में एक छोटा संक्षिप्त कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसके तहत शुक्रवार को सुबह 11:00 बजे समाज प्रमुखों की उपस्थिति में भक्त माता राजिम मंदिर नवापारा में हवन-पूजा पश्चात खिचड़ी भोग प्रसाद का वितरण किया गया।हवन-पूजा मे प्रमुख रूप से नवापारा नगर परिक्षेत्र साहू समाज के संरक्षक गण मेघनाथ साहू,नगर अध्यक्ष परदेशी राम साहू, जगत राम साहू,संजय साहू, छन्नुलाल साहू,धनमती साहू, मयाराम साहू,भागीराम साहू, हेमलाल साहू, घनश्याम साहू, तिजू साहू, कुमारु साहू, विरेंद्र साहू, शिव साहू, अशोक साहू, विष्णु राम साहू ,रमेश साहू, शिक्षक गण कन्हैया लाल साहू, केजऊ राम साहू, गेंद लाल साहू ,सुखराम साहू , सहित अनेक समाज प्रमुख उपस्थित थे।

” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।

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