देवभोग के तहसीलदार और पटवारी ने फर्जी पट्टा बना पीड़ित की जमीन को बेच दिया और देना बैंक मैनपुर से लोन निकाला | पीड़ित ने गरियाबंद कलेक्टर और एसपी को शिकायत किया तब देवभोग के तहसीलदार और पटवारी ने फिर से फर्जी पट्टा बना कर पीड़ित की जमीन को फिर बेच दिया

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देवभोग के तहसीलदार और पटवारी ने फर्जी पट्टा बना पीड़ित की जमीन को बेच दिया और देना बैंक मैनपुर से लोन निकाला | पीड़ित ने गरियाबंद कलेक्टर और एसपी को शिकायत किया तब देवभोग के तहसीलदार और पटवारी ने फिर से फर्जी पट्टा बना कर पीड़ित की जमीन को फिर बेच दिया

गरियाबंद | गरियाबंद जिले में बहुत ही सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है जिसमे देवभोग के तहसीलदार और पटवारी ने एक गरीब पीड़ित की जमीन को फर्जी पट्टा बना कर दुसरे आदमी को बेच दिया है और जालसाजी कर देना बैंक मैनपुर से लोन निकाला गया है | जिसकी शिकायत पीड़ित द्वारा किये जाने पर देवभोग के तहसीलदार और पटवारी ने गरीब पीड़ित की जमीन का फिर से फर्जी पट्टा बना कर फिर से बेच दिया है | मिली जानकारी के अनुसार जगदीश राम एवं केकती बाई का ग्राम – गाडाघाट, तहसील – देवभोग,के प.ह.नं. – 50 / 08 , खसरा नंबर – 165, रकबा – 0.40 है जमीन है | वे दोनों ग्राम नाउमुडा तहसील – मैनपुर , जिला – गरियाबंद में निवास करते है | जगदीश राम का 2004 में देहांत हुआ परन्तु उनकी पत्नी केकती बाई का चलने फिरने में असमर्थ होने के कारण से आज तक जमीन का नामांतरण नहीं करवाए थे |

तदुपरांत उक्त भूमि का फौती कटवाने , नामांतरण करवाने के लिए उनका नाती सदेश सोनवानी गाडाघाट के पटवारी के पास गए तो पटवारी ने बताया की उक्त भूमि राजस्व रिकार्ड में दर्ज ही नहीं है | तदुपरांत गरियाबंद के भू अभिलेख शाखा में भी पतासाजी किये पर उनकी जमीन का रिकार्ड नहीं मिला है | देवभोग तहसील के राजस्व रिकार्ड में तहसीलदार , पटवारी के द्वारा  कूटरचना कर उनकी जमीन को दुसरे के नाम में नामांतरण कर दिया है |

वर्ष 19-20 में भुइया साफ्टवेयर में देखने पर उक्त जमीन किसी बिम्बाधर पिता गोपीनाथ के नाम पर दर्ज था जो की माली जाति का है और पीड़ित गांडा जाति के है उक्त भूमि को कलेक्टर के अनुमति के बगैर अंतरण नहीं किया जा सकता है परन्तु तहसीलदार , पटवारी के द्वारा राजस्व रिकार्ड में कुटरचना कर फर्जी पट्टा बना कर उनकी जमीन को कलेक्टर के अनुमति के बगैर बिम्बाधर पिता गोपीनाथ माली जाति के नाम में दर्ज कर दिया है | इसके साथ ही उक्त जमीन के फर्जी तरीके से देना बैंक मैनपुर से लोन निकाला गया है |

फर्जी पट्टा बना कर कूटरचना किये जाने पर पीड़ित ने कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक महोदय के समक्ष शिकायत आवेदन प्रस्तुत किया जिसकी जांच देवभोग थाने में किया गया है | जिसमे थाना प्रभारी देवभोग ने तहसीलदार देवभोग को पत्र लेख कर पूछा है की उक्त जमीन बिम्बाधर के नाम में कैसे आया | परन्तु आज एक साल गुजर जाने पर भी तहसीलदार देवभोग ने कोई जवाब नहीं दिया है |

पीड़ित द्वारा फर्जी पट्टा बना कर उनकी जमीन को कलेक्टर के अनुमति के बगैर बेच दिए जाने की शिकायत करने के बाद देवभोग के तहसीलदार , पटवारी द्वारा फिर से कूटरचना कर कलेक्टर के अनुमति के बगैर जमीन का नामांतरण कर अन्य व्यक्ति छबी राम के नाम पर दर्ज कर दिया गया है जबकि उक्त भूमि को कलेक्टर के अनुमति के बगैर अंतरण नहीं किया जा सकता है परन्तु तहसीलदार , पटवारी के द्वारा राजस्व रिकार्ड में कुटरचना कर जमीन को छबिराम  के नाम में दर्ज कर दिया है और देना बैंक का लोन को चुकता कर दिया गया है इस प्रकार पीड़ित कई सालो से अधिकारी और कार्यालयों का चक्कर काट रहा है परन्तु उनको न्याय नहीं मिल पा रहा है

पीड़ित को 1985 में जमीन का पट्टा मिला है
उक्त जमीन वर्ष 19-20 में बिम्बाधर जाती माली ओबीसी वर्ग के नाम में दर्ज है
उक्त जमीन देवभोग की है परन्तु देना बैंक मैनपुर से लोन निकाला गया है
दस्तावेज में स्पष्ट लिखा है की कलेक्टर की अनुमति के बिना जमीन का अंतरण नहीं किया जा सकता है
पीड़ित ने कलेक्टर और एस पी को शिकायत किया है
थाना प्रभारी देवभोग ने तहसीलदार को पत्र लेख किया पर कोई जवाब नहीं दिया तहसीलदार ने
पुलिस में शिकायत के बाद कलेक्टर के अनुमति के बिना उक्त भूमि को छाबिराम को बेच दिया गया है

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