पीडब्लूडी का एक अधिकारी छब्बीस सालों से एक ही जगह खा रहा है मलाई…संपत्ति जांच की उठी मांग अनुकंपा नियुक्ति से एग्जीक्यूटिव इंजीनियर तक का सफर… पढ़िए पूरी खबर…
पीडब्लूडी का एक अधिकारी छब्बीस सालों से एक ही जगह खा रहा है मलाई…संपत्ति जांच की उठी मांग
अनुकंपा नियुक्ति से एग्जीक्यूटिव इंजीनियर तक का सफर…
पढ़िए पूरी खबर…
बात दे कि रायपुर सिविल लाइन स्थित सौ साल पुराना सर्किट हॉउस एक साल से टूटा पड़ा हुआ है। अब यह सर्किट हॉउस खंडहर में तब्दील हो चुका है। अगर आगे बनाने की कोई योजना नही थी तो सर्किट हाउस को तोड़ने की जरूरत क्या थी एक समय था जब सर्किट हाउस में वरिष्ठ लोगो का आना जाना था और सीनियर सिटीजन पुराने पेड़ पौधे और हरियाली देखकर वाकिंग के लिए आते थे सीनियर सिटीजन की टीम वार्तालाप के लिए उपयुक्त जगह मानते थे। सर्किट हॉउस में कभी दूर दराज से आने वाले मेहमानों का चहल पहल हुआ करती थी
पूर्व प्रधान मंत्री अटलबिहारी बाजपेयी जी भी यहाँ आकर रुका करते थे .
इस प्रकार के सांस्कृतिक धरोहर को तोड़ना ये कहा का न्याय है।
लेकिन पीडब्ल्यू डी के अधिकारी को पता नही क्या सूझा की अंग्रेजो के जमाने सौ साल पुराना सर्किट हॉउस ही तोड़ कर खंडहर बना दिया यह सब इस लिए हुआ कि आने वाले मेहमानों से उन्हें कोई फायदा नही हो रहा था टोटल दस रूम थे और बड़े बड़े वरिष्ठ अधिकारियों का आना जाना था
साथ ही गनमैन और ड्राइवर लोगो को भी रहने रुकने खाने की व्यवथा होती थी। लेकिन हर भरे अच्छे हेल्दी वातावरण आज खंडहर बन चुका है। वैसे तो अंग्रेजो का बनाया गया मजबूत ढाचे वाले इस सर्किट हाउस को तोड़ने की कोई जरूरत नही है। सिर्फ और सिर्फ रेनोवेट करने की जरूरत है। बताते है कि किसी नए प्रोजेक्ट में तगड़ा मुनाफा कमाने के उपदेश्य से पुराना अंग्रेजो के जमाने का मजबूत सर्किट हॉउस को तोड़ा जा रहा है।
बताते है कि एक पीडब्लूडी का एक अधिकारी एक ही जगह सारी नॉकारी निकाल कर मलाई खा रहे है। अनुकंपा नियुक्ति से सब इंजीनियर बने उसके बाद तो किसी जिले में उनका ट्रांसफर नही हुआ आज एक्जक्यूटिव इंजीनियर तक का सफर एक ही जगह और एक ही जिले में पूरी नॉकारी निकाल दी .बुद्दिजीवीयो, सुनियर सिटीजन , आरटीआई एक्टिविस्ट ने तो इस अधिकारी की संपत्ति की जांच के लिए बड़ा मुद्दा भी उठाया है। कि एक ही जगह पर बैठे इस भ्रष्ट अधिकारी की सारी संपत्ति की जांच बड़े स्तर पर होना चाहिए.
सरकार कांग्रेस की हो या बीजेपी की हो उन्हें कोई फर्क नही पड़ता क्योकि उन्हें पता है कि मुझे क्या करना है कि मेरा ट्रांसफर रुक जाए और वही होता है जो पीडब्ल्यूडी का यह भ्रष्ठ अधिकारी बोलता है। वजह है कि वह अधिकारी आज भी अपने पैर रायपुर में जमाया हुआ है। अब देखना यह होगा कि उस अधिकारी का बीजेपी सरकार में उसका ट्रांसफर होता है कि नही या फिर वर्तमान पीडब्ल्यूडी मंत्री उन्हें फिर से संरक्षण देने में कामयाब होते है।