कूटरचित दस्तावेजों से करोडों का घोटाला…….कोरोड़ो की रकम पचाकर मस्त है जिला प्रबन्धक…

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धोटाला इतना बड़ा की सस्पेंड होना तय..जांच हो गई है पूरी.

..* *मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद तुरंत होगी कार्यवाही..

.* पढ़िए पूरी खबर

छत्तीसगढ़/रायपुर:- छत्तीसगढ़ में भोले भाले किसानों को ठगने और किसानों की गाढ़ी कमाई लुटने में लुटेरे कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। आलम यह है कि अनुदान जैसे योजनाओं पर भी करोड़ो का हेरफेर बदस्तूर जारी है.। वही दूसरे राज्य से आए अधिकारी छत्तीसगढ़ के भोले किसानों का फायदा उठाकर किसानों का हक मार कर मलाई खा रहे हैं।

राजधानी से लगे जिले में एक अधिकारी का ऐसा कारनामा सामने आया है जिसमे शासन की योजनाओं को छेड़छाड़ कर रकम को फर्जी कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से करोडो रूपए राशि का आहरण कर रहे हैं…. साथ ही उनके सहयोगी सरकार का बुद्धि इतना है कि योजनाओं को तोड़ मरोड़,कूटरचना में माहिर खिलाड़ी हैं,।

आपको बता दें कि पूरा मामला राजधानी से लगे जिले हैं जहां पर शासन अपनी योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के लिए बीज निगम का सहारा लेती है, जिससे किसानों का हित हो। शासन की कई ऐसे योजनाएं हैं जिनमे किसानों को अनुदान पर दिया जाता है जिसमे बीज, दवाई, खरपतवारनाशी, कीटनाशी, शाकनाशी जैसे दवाइयों पर अनुदान दिया जाता है। जिसमे वर्ष 2016-17 में योजनाओं को तोड़ा मरोड़ा गया है।

ग्रामीण क्षेत्रों एवं किसानो के मांग के आधार पर खंड कृषि अधिकारी एवं ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों के माध्यम से डिमांड जनरेट कर बीज निगम के प्रबंधक विकासखंड के आवश्यकता एव मांग के आधार पर मांग पत्र जिला कृषि अधिकारी को प्रेषित किया जाता है, जिसमे अधिकारी मांगो को देखते हुए अपनी मुहर लगा बीज निगम प्रबन्धक को भेजा जाता है, जिसमे बीज निगम थर्ड पार्टी रासायनिक कम्पनियों से डील कर के माल सप्लाई करवाता है। इस दरम्यान सम्बन्धित कम्पनी एव कृषि, बीज निगम

अधिकारियों के साथ सांठगांठ कर कमीशन का भरपूर फायदा उठाते है। लेकिन यहां तो हद ही हो गई जब बीज निगम के प्रबंधक ने मांग के अनुसार माल सप्लाई न करके आधा माल सप्लाई किया लेकिन कूटरचना कर पूरा राशि आहरण कर लिया ,साथ ही किसानों से प्राप्त अनुदान में भी डाका डाला गया,साथ ही फसने के डर से बीज निगम के कच्चा बिल को लगाया गया है, लेकिन पावतीमय चालान में सिर्फ आधे मटेरियल का बिल पेश किया गया है । आपको बता दें कि जानकारी सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत निकाली गई है जिसमे करोड़ो रूपये का हेरफेर सामने आया है वही बीज निगम के उच्च अधिकारियों से शिकायत पर जांच कमेटी गठित किया गया है

जिसमे दस्तावेजों को परीक्षण के लिए ले जाया गया है। इस मामले में कृषि अधिकारी, कम्पनी खण्ड कृषि अधिकारी, कम्पनी के सप्लायर की मिलीभगत से इतना बड़ा करोडो के मामले को अंजाम दिया गया है। वहीँ विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप पर अधिकारी का सस्पेंड होना तय है…।

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