संयुक्त राष्ट्र दूत ने सीरिया में तनाव कम करने का आह्वान किया
संयुक्त राष्ट्र
सीरिया के लिए संयुक्त राष्ट्र के उप विशेष दूत नजत रोचडी ने सीरिया में तत्काल तनाव कम करने का आह्वान किया है और चेताया है कि इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष वहाँ भी फैल सकता है।
उन्होंने सुरक्षा परिषद को बताया, “हम सीरिया में संभावित रूप से व्यापक तनाव बढ़ने की संभावना के बारे में गहराई से चिंतित हैं। कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र और इज़रायल में दुःखद विकास के प्रभाव सीरिया के अंदर महसूस किए जा रहे हैं।”
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि 25 नवंबर को, इजरायल एक बार फिर दमिश्क हवाई अड्डे पर हमला किया, जिससे इस हवाई अड्डे से संचालित होने वाली संयुक्त राष्ट्र मानवतावादी वायु सेवा एक बार फिर अस्थायी रूप से बंद हो गई।
उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत नागरिक बुनियादी ढांचे को निशाना बनाना प्रतिबंधित है। दमिश्क हवाईअड्डे पर हमले से पहले सीरिया में अन्य स्थानों पर इजरायल द्वारा हवाई हमले और दक्षिणी सीरिया में इजरायली गोलाबारी की गई थी।
उन्होंने कहा कि ये हमले दक्षिणी सीरिया से कब्जे वाले सीरियाई गोलान पर इज़रायल की ओर रॉकेट और मिसाइल लॉन्च की रिपोर्टों के साथ मेल खाते हैं।
उन्होंने कहा, इस बीच, सीरियाई संघर्ष अपने सभी अन्य आयामों में जारी है, जिसमें सीरियाई सरकारी बल, विद्रोही, आतंकवादी समूह और तुर्किये शामिल हैं।
उन्होंने चेतावनी दी, “सीरिया में हिंसा जारी है, जिसमें गाजा और इज़रायल से हिंसा भी शामिल है। ऐसी हिंसा जारी रखना आग से खेलना है। बस एक गलत अनुमान… सीरियाई सीमाओं के भीतर मौजूद एक दर्जन अलग-अलग बारूद के ढेरों को जला सकता है।”
उन्होंने कहा, “हमें सभी हितधारकों के बीच मजबूत चैनलों के माध्यम से निरंतर तनाव घटाने की जरूरत है। हमें नागरिकों की हत्या, उन्हें घायल करना और विस्थापन तथा बुनियादी ढांचे के विनाश को न केवल कम करना है, बल्कि समाप्त करना है।”
उन्होंने चेतावनी दी कि क्षेत्र में भयानक संकट को देखते हुए सीरिया पर ध्यान कुछ हद तक कम हो गया है, लेकिन सीरिया की खतरनाक स्थिति को देखते हुए यह सही नहीं है।
रोचडी ने कहा, “अगर हम सीरियाई पार्टियों और लोगों को आशा का क्षितिज और उनके संघर्ष को हल करने के लिए एक राजनीतिक रास्ता नहीं देते हैं, तो मुझे डर है कि स्थिति बार-बार उग्र हो जाएगी, उस क्षेत्र में फैल जाएगी जो पहले से ही ऐतिहासिक संकट के दौर में है।”
रूस की सेना में कार्यरत तीन नेपाली नागरिकों की यूक्रेन युद्ध में मौत
काठमांडू
रूस की सेना में कार्यरत तीन नेपाली नागरिकों की यूक्रेन के साथ जारी युद्ध में मौत हो गई। इनके परिवारों को मौत के दो हफ्ते बाद सूचित किया गया है। मास्को स्थित नेपाली दूतावास ने इनकी मौत की पुष्टि करते हुए परिवार वालों को जानकारी दी है।
दूतावास ने काठमांडू स्थित विदेश मंत्रालय के मार्फत भेजे गए पत्र में तीनों के पार्थिव शरीर को वापस नेपाल भेजने के लिए समन्वय करने का अनुरोध किया है। दूतावास के द्वितीय सचिव सुशील घिमिरे की तरफ से भेजे गए पत्र में मृतकों का विवरण दिया गया है। इस विवरण के मुताबिक मृतकों में स्यांग्जा निवासी प्रीतम कार्की (पासपोर्ट नम्बर बीएओ 150320), दोलखा निवासी राज कुमार रोका (पासपोर्ट नम्बर बीएओ 254301) और इलाम निवासी गंगाराज मोक्तान (पासपोर्ट नम्बर 09200751) शामिल हैं। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने इनके परिवारों सूचित कर दिया। इनमें से कार्की और रोका नेपाली सेना में काम कर चुके हैं। मोक्तान नेपाल की सशस्त्र प्रहरी बल से अवकाशप्राप्त जवान था।
नेपाल के विदेश मंत्री एनपी साउद ने कहा है कि मौत कहां हुई है और किन परिस्थितियों में हुई है इस बात की पूरी जानकारी ली जा रही है। मास्को से तीनों के पार्थिव शव लाने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। साउद ने बताया कि रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होते ही सभी नागरिकों को किसी भी देश के सेना में भर्ती ना होने के लिए अपील की गई थी। मगर यह तीनों उससे पहले से सेना में कार्यरत थे या फिर बाद में हुए, इस बात की जानकारी भी जुटाई जा रही है।
कनाडा के राजनेताओं ने कहा, हिंदू मंदिरों पर हमले बंद करें
टोरंटो
विभिन्न हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ के लिए खालिस्तान समर्थक तत्वों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने पर निराशा व्यक्त करते हुए कनाडा-इंडिया फाउंडेशन ने देश के राजनेताओं से अपनी चुप्पी तोड़ने और इन कट्टरपंथियों पर लगाम लगाने को कहा है – इससे पहले कि बहुत देर हो जाए।
शीर्ष भारतीय-कनाडाई वकालत संस्था ने राजनेताओं को लिखे एक खुले पत्र में कहा है: “हिंसा में विश्वास रखने वाले चरमपंथियों के एक समूह द्वारा हमारे समुदाय को जारी की गई धमकियों ने हाल ही में खतरनाक आयाम ले लिया है। ऐसे ही एक स्वयंभू चरमपंथी नेता ने कनाडाई लोगों को नवंबर के महीने में एयर इंडिया से यात्रा न करने की चेतावनी जारी की।
पत्र में कहा गया है कि आश्चर्य है कि कनाडाई राजनेताओं और मीडिया ने इस खतरे को क्यों नजरअंदाज कर दिया है। संस्था ने लिखा, “हम और भी अधिक निराश हैं कि हमारे राजनीतिक नेताओं ने इस गंभीर मुद्दे पर पूरी तरह से चुप्पी बनाए रखी है। आतंकवाद और खतरों से निपटने का यह चयनात्मक दृष्टिकोण इस दुनिया को एक सुरक्षित जगह नहीं बनाएगा।”
मिसिसॉगा में राम मंदिर, रिचमंड हिल में विष्णु मंदिर, टोरंटो में बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर, सरे में लक्ष्मी नारायण मंदिर जैसे हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ को धर्म की स्वतंत्रता पर हमला और एक खतरनाक प्रवृत्ति बताते हुए पत्र में कहा गया है कि चरमपंथी यहां तक कि आम हिंदुओं को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया है और उन्हें कनाडा छोड़ देने को कहा है।