तंबाकू के सेवन से बड़ी उम्र के लोग हो रहे हृदयघात के शिकार
ग्वालियर
ठंड बढ़ने के साथ ही हृदयघात के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। पिछले एक सप्ताह में जयारोग्य अस्पताल की कार्डियोलाजी में हृदयघात के एक सैंकड़ा से अधिक मरीज पहुंचे। खास बात यह है कि इन मरीजों में 70 फीसद की उम्र 40 से 50 साल के मध्य है। हृदय रोग विशेषज्ञ एवं विभाग प्रमुख डा. पुनीत रस्तोगी का कहना है कि इन 70 फीसद मरीजों में 80 फीसद की केस हिस्ट्री चौंकाने वाली थी, क्योंकि यह सभी किसी न किसी तरह से तंबाकू का सेवन करते हैं। तंबाकू का सेवन कम उम्र में दिल का दर्द दे रहा है। 20 से 30 साल के युवाओं में बीपी संबंधी शिकायत पाई जा रही है। ठंड में हृदय की धमनियों में सिकुड़न होने पर यह समस्या बढ़ जाती है। पिछले एक सप्ताह में 15 फीसद हृदयघात के मरीजों की संख्या बढ़ी है।
धूम्रपान हृदय और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है
सिगरेट, बीड़ी और गुटखा तंबाकू का सेवन करने से हृदय में रक्त का प्रवाह कम हो होने लगता है और दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। डा. रस्तोगी का कहना है कि धूम्रपान से कोरोनरी धमनियों में रुकावट और संकुचन की गति बढ़ जाती है। दिल का दौरा तब होता है जब कोई चीज, आमतौर पर रक्त का थक्का, हृदय में रक्त के प्रवाह को रोक देता है। धूम्रपान हमारी धमनियों को कमजोर करता है, जिससे कोरोनरी हार्ट डिजीज और स्ट्रोक हो सकता है। धूम्रपान करने से हृदय की कोशिकाएं सख्त और कमजोर हो सकती हैं। जो लोग धूम्रपान करते हैं, उनके हृदय की कार्यक्षमता समय के साथ खराब होती जाती है। इससे मरीज को हर्टअटैक का खतरा बढ़ जाता है और खतरा रहता है।
बाहर का खान पान बना रहा दिल का रोगी
बाहर का भोजन लोगों को दिल का रोग बांट रहा है। असल में मिलावटी व खराब खान पान से युवा दिल के रोगी बन रहे हैं। डा रस्तोगी का कहना है कि होटलों एवं फुटपाथ पर लगने वाले ठेलों में एक ही तेल को बार-बार उबालकर उसका उपयोग कचोरी, समोसे, पकोड़े, सेंव एवं पानीपुरी आदि बनाने में किया जाता है। थोड़े से फायदे के लिए दुकानदार जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। कई दुकानों पर एक ही तेल को पूरा खत्म होने तक कई बार गर्म करके खाद्य सामग्रियां बनाई जाती हैं। जो स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक है। उच्च तापमान पर गर्म तेल से विषैला धुआं निकलता है।उच्च तापमान पर तेल में मौजूद कुछ फैट्स ट्रांस फैट में बदल जाते हैं, ट्रांस फैट्स नुकसानदेह है। ये शरीर में कोलेस्ट्राल और हृदयरोग का खतरा बढ़ाते हैं। जब तेल को दोबारा इस्तेमाल किया जाता है तो ट्रांस फैट्स की मात्रा और ज्यादा हो जाती है। फूड्स में नमी, वायुमंडलीय आक्सीजन और उच्च तापमान के संयोग से इड्रोलिसिस, आक्सीकरण और बहुलीकरण जैसी प्रतिक्रियाएं निर्मित होती हैं।