घट नहीं रहा ओजोन होल, नई स्टडी ने डराया, ‘आकाश में छेद’ के बढ़ने का खतरा
वेलिंगटन
ओजोन लेयर जो हमारी धरती के कई किलोमीटर ऊपर है उसे लेकर नेचर कम्युनिकेशन में एक नई स्टडी पब्लिश हुई है। इसमें ओजोन लेयर की रिकवरी को लेकर खुलासा हुआ है। अभी तक माना जा रहा था कि ओजोन लेयर रिकवर हो रही है जो सबसे बड़ी पर्यावरणीय उपलब्धियों में से एक थी। लेकिन नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि ओजोन लेयर संभवतः ठीक नहीं हो रही, बल्कि इसके छेद के बढ़ने का खतरा है। ये स्टडी ओजोन परत की स्थिति के व्यापक रूप से स्वीकृत आकलन से विपरीत है।
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के समर्थन वाले एक अध्ययन में कहा गया था कि 2040 तक ओजोन लेयर साल 1980 के स्तर तक वापस आ जाएगी। ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले 100 से ज्यादा कैमिकल के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के लिए 1987 में कई देश सहमत हुए थे। इन रसायनों के कारण अंटार्कटिका के ऊपर की परत में छेद हो गया था। ओजोन को होने वाले नुकसान का सबसे बड़ा कारण क्लोरोफ्लोरोकार्बन या सीएफसी का इस्तेमाल है, जो एयरोसोल स्प्रे और रेफ्रिजरेंट में आम थे।
ओजोन के स्तर में हो रही कमी
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत सहमत प्रतिबंध को व्यापक रूप से ओजोन परत की रिकवरी में प्रभावी माना जाता है। अंटार्कटिका के ऊपर यह छेद गर्मियों में फिर से सिकुड़ने से पहले वसंत के दौरान बढ़ता है। लेकिन 2020 से 2022 में रिकॉर्ड आकार तक पहुंच गया, जिससे न्यूजीलैंड के वैज्ञानिकों को इसकी जांच करनी पड़ी। नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि वसंत ऋतु के दौरान ओजोन छिद्र के मूल में 2004 के बाद से ओजोन के स्तर में 26 फीसदी की कमी हुई।
गहरा हो रहा ओजोन छिद्र
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह गिरावट दिखाती है कि छेद ने न केवल अपने बड़े क्षेत्र को बरकरार रखा है, बल्कि यह और भी गहरा हो गया है। निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए वैज्ञानिकों ने एक सैटेलाइट उपकरण का इस्तेमाल करके सितंबर से नवंबर तक ओजोन परत के व्यवहार का विश्लेषण किया। व्यवहार और ओजोन के बदलते स्तरों की तुलना करने के लिए उन्होंने ऐतिहासिक डेटा का इस्तेमाल किया।