वोटिंग प्रतिशत बढ़ने और अस्पष्ट रुझानों से राजनीतिक दलों में नया मंथन

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भोपाल

मध्यप्रदेश में वोटिंग बढ़ने और अस्पष्ट रुझानों से राजनीतिक दलों में नया मंथन शुरू हो गया है। दरअसल मध्यप्रदेश चुनाव के नतीजे राज्यसभा में सांसदों का आंकड़ा प्रभावित कर सकते हैं। अगले साल अप्रैल में पांच राज्यसभा सीटें खाली हो रही हैं। विस नतीजे इन सीटों का फैसला करेंगे।

 मप्र का विधानसभा चुनाव परिणाम अप्रैल माह 2024  में प्रदेश की खाली होने वाली 5 राज्यसभा की सीटों का फैसला साबित होने जा रही है। मध्य प्रदेश में 5 सीटों पर राज्यसभा चुनाव साल 2024 के मार्च में प्रस्तावित है। राज्यसभा की सीटों को लेकर बीजेपी को अपना परचम दोहराना है तो बीजेपी को विधानसभा चुनाव परिणाम में कम से कम 152 सीटों की जरूरत होगी। मध्यप्रदेश में राज्यसभा की कुल सीटे 11 हैं।   खाली हो रही पांच सीटों में भाजपा के हिस्से में अभी चार राज्यसभा की सीटे है, तो वहीं कांगे्रस के पास महज एक सीट है।  भाजपा सांसद धर्मेंद्र प्रधान, कैलाश सोनी, अजय प्रताप सिंह, एल मुर्गन और कांग्रेस से राजमणि पटेल इन सभी राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल 2 अप्रैल 2024 को खत्म हो रहा है। मध्य प्रदेश कोटे से राज्यसभा की ये 5 सीटें खाली होने जा रही है। ये सीटें 2 अप्रैल 2024 को खाली हो जाएंगे।  इससे पहले ही निर्वाचन आयोग चुनाव करवाएगा।  वहीं, विधानसभा सदस्य संख्या के आधार पर ही मत मूल्य का निर्धारण किया जाएगा। इससे ही तय होगा कि, किस पार्टी के कितने सदस्य चुने जाएंगे। जिस पार्टी को ज्यादा सीट मिलेंगे उस पार्टी के मत मूल्य अधिक होंगे और उसी पार्टी से राज्यसभा सदस्य चुना जाएगा।

152 सीटों का आंकड़ा किसी के लिए नहीं आसान
विधानसभा चुनाव में मतदान फीसदी में जो बढ़ोत्तरी हुई उसको देखकर ऐसा कांग्रेस या भाजपा कितनी सीटें ले सकेंगे यह कहना कठिन  है। भाजपा- कांग्रेस दोनों के लिए भी विधानसभा चुनाव में 152 सीटों का जादुई आंकड़े को छूना किसी ख्वाब से कम नहीं है, क्योंकि किसी भी दल की लहर नजर नहीं आ रही है बल्कि मुकाबला कांटे का लग रहा है। जिससे प्रतीत होता है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बने या बीजेपी की राज्यसभा सांसदों के चुनाव में भी मुकाबला कांटाजोड़ रहने वाला है।

2020 में बीजेपी ने सिंधिया को भेजा था संसद…
वर्ष 2020 में प्रदेश में राज्यसभा की तीन सीटों पर चुनाव हुआ था। बीजेपी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुमेर सिंह सोलंकी को उम्मीदवार बनाया था। राज्यसभा का चुनाव होने से तीन महीने पहले ही सिंधिया समर्थित 22 विधायकों ने अपने पद से  इस्तीफा  दे दिया था। इस लिहाज से प्रदेश में विधानसभा की कुल सीटों की संख्या 206 हो गयी थी।

बाहरी नेता को भी मिल सकता है मौका
बीजेपी और कांग्रेस में राज्यसभा के उम्मीदवारों के लिए अभी से मंथनों का दौर शुरू हो गया है। लेकिन एक बात तो तय है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बने या बीजेपी की पांच रिक्त हुई सीटों पर प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों के बड़े नेताओं को भी राजनीतिक पार्टियां मौका दे सकती है। तब तक 16वीं विधानसभा चुनाव का गठन हो चुका होगा।

निर्धारित 11 सीटों में कांग्रेस की 3 सीट
मप्र के कोटे में 11 राज्यसभा सीटों में वर्तमान में बीजेपी के पाले में आठ, कांग्रेस के पास केवल तीन सदस्य हैं। इसमें दिग्विजय सिंह, राजमणि पटेल और विवेक तन्खा शामिल हैं।  राजमणि की सदस्यता 2 अप्रैल 2024 को खत्म हो जाएगी। जबकि दिग्विजय सिंह की 21 जून 2026 को और विवेक तन्खा की सदस्यता 29 जून 2028 तक है।

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