गाजा को बचाने के लिए चीन के पीछे एकजुट हो रहा मुस्लिम जगत!

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बीजिंग

 दुनियाभर के मुस्लिम देशों को प्रतिनिधि गाजा में जारी संघर्ष का समाधान ढूंढ़ने के लिए सोमवार को चीन पहुंचे हैं। सऊदी विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान ने बताया है कि अरब और मुस्लिम देशों के मंत्री सोमवार को चीन का दौरे पर हैं। ये मंत्री गाजा पट्टी में जारी इजरायली आक्रामण को समाप्त करने के उद्देश्य से एक अंतरराष्ट्रीय बैठक करेंगे। फरहान ने कहा कि मंत्री तत्काल युद्धविराम कराने और गाजा में मानवीय सहायता के प्रवेश को सुविधाजनक बनाने का एक मजबूत संदेश देने के लिए चीन के बाद कई और देशों का भी दौरा करेंगे।

प्रिंस फैसल ने बैठक के लिए चीन पहुंचने से पहले अपने एक्स अकाउंट पर इसकी जानकारी देते हुए लिखा, यह मीटिंग इस महीने की शुरुआत में रियाद में हुए अरब-इस्लामिक शिखर सम्मेलन में लिए गए निर्णयों को लागू करने के लिए इस्लामिक मंत्रिस्तरीय समिति के लिए पहला कदम होगी। इसका पहला काम गाजा में तत्काल युद्धविराम लागू कराना है। फरहान ने कहा कि शांति के महत्व पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के भीतर सहमति के बावजूद गाजा में तत्काल युद्धविराम की आवश्यकता पर अभी भी पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

क्या चीन के पीछे एकजुट होगा मुस्लिम जगत!

सऊदी के विदेश मंत्री फरहान नेल उम्मीद जताई कि फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना के साथ स्थायी शांति के प्रयासों को फिर से शुरू किया जा सकता है। जो क्षेत्र में हम सभी के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करेगा लेकिन फिलहाल हमारी प्राथमिकता लड़ाई को खत्म करना है। हमें यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना है कि गाजा में हर दिन देखी जा रही नागरिक पीड़ा को खत्म किया जाए।

गाजा में जारी हमलों को रोकने के लिए मुस्लिम जगत से लगातार आवाज उठ रही है। इजरायल और अमेरिका के खिलाफ लगातार कड़े बयान भी आए हैं लेकिन इनका कोई खास असर इजरायल पर होता नहीं दिखा है। वहीं मुस्लिम जगत में कड़े विरोध के बावजूद अमेरिका भी मजबूती से इजरायल के साथ खड़ा है। इस सबके बीच चीन में मुस्लिम जगत का जुटना अमेरिका के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है। अभी तक अरब जगत में अमेरिका का ज्यादा दखल रहा है लेकिन इस बैठक की घोषणा के बाद ये भी सवाल उठ रहा है कि क्या मुस्लिम जगत इजरायल पर लगाम कसने के लिए अमेरिका के धुर विरोधी चीन की तरफ झुक रहा है। चीन में मुस्लिम दुनिया के प्रतिनिधि जुटते हैं तो यहां से इजरायल के साथ-साथ अमेरिका के लिए भी ज्यादा तीखी बयानबाजी देखने को मिल सकती है। चीन भी निश्चित ही इस मौके को अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश करेगा।

 

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