भारत जलवायु परिवर्तन से पीड़ित देशों को मुआवजे के लिए एलडीएफ का दायरा बढ़ाने की कर सकता है वकालत

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दुबई
भारत जलवायु परिवर्तन से प्रभावित विकासशील देशों को मुआवजा देने के लिए हानि एवं क्षति कोष (एलडीएफ) का दायरा बढ़ाने की वकालत कर सकता है, ताकि उन्हें इसमें समाविष्ट किया जा सके।

संयुक्त राष्ट्र के एक शीर्ष अधिकारी ने यह बात कही। यहां जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक सम्मेलन शुरू हुआ। पिछले वर्ष वार्षिक संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता (सीओपी)27 में जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से पीड़ित विकासशील देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए पक्षकारों ने हानि एवं क्षति कोष बनाने पर सहमति दी थी।

संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि सीओपी28 में वैश्विक हानि एवं क्षति कोष को क्रियाशील बनाने पर पूरा ध्यान केन्द्रित रहेगा। इसके अलावा पात्रता अनिवार्यता, धन के स्रोत,और क्या विश्व बैंक प्रारंभिक तौर पर चार वर्ष के लिए इसका अंतरिम ट्रस्टी हो सकता है- इन पर भी विचार विमर्श होगा।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी ने कहा कि उम्मीद है कि भारत एलडीएफ का दायरा बढ़ाने की वकालत करेगा और विकासशील देशों को इसमें समाविष्ट करने की अपील करेगा।

अधिकारी ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि सीओपी28 में मुख्य रूप से ध्यान 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने पर होगा। भारत इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

यह सम्मेलन बृहस्पतिवार से शुरू होकर 12 दिसंबर तक चलेगा। इसमें लगभग 200 देशों के 70,000 प्रतिनिधियों के भाग लेने की उम्मीद है।

इस जलवायु शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, ब्रिटेन के महाराजा चार्ल्स तृतीय, ब्राजील के राष्ट्रपति लूला ड सिल्वा और स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज़ सहित राष्ट्राध्यक्षों एवं सरकारों के प्रमुखों के शामिल होने की उम्मीद है।

उ.कोरिया ने बातचीत के अमेरिकी आह्वान को खारिज किया

सियोल
उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन की बहन ने कूटनीतिक बातचीत के अमेरिकी आह्वान को  खारिज कर दिया तथा आगे और अधिक उपग्रहों का प्रक्षेपण करने का संकल्प जताया। अमेरिका ने उत्तर कोरिया के हालिया जासूसी उपग्रह प्रक्षेपण को संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों का उल्लंघन बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की थी।

इस सप्ताह की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक के दौरान अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने उत्तर कोरिया के उपग्रह प्रक्षेपण को “लापरवाहीपूर्ण और गैरकानूनी” कार्रवाई बताया था, जो उसके (उत्तर कोरिया के) पड़ोसियों के लिए खतरा है। हालांकि, उन्होंने बिना किसी पूर्व शर्त के बातचीत की अमेरिकी पेशकश को दोहराते हुए कहा कि उत्तर कोरिया ”समय और विषय खुद चुन सकता है।”

किम की बहन और वरिष्ठ अधिकारी, किम यो जोंग ने अमेरिकी प्रस्ताव को खारिज कर दिया तथा आगे और अधिक उपग्रह व अन्य हथियार प्रक्षेपित करने की धमकी दी।

देश के सरकारी मीडिया द्वारा जारी एक बयान में किम यो जोंग ने कहा, “एक स्वतंत्र देश की संप्रभुता कभी भी बातचीत के लिए ‘एजेंडा आइटम’ नहीं हो सकती है और इसलिए उत्तर कोरिया इस उद्देश्य के लिए कभी भी अमेरिका के साथ बातचीत के लिए नहीं बैठेगा।”

उन्होंने कहा, “उत्तर कोरिया अपने संप्रभु अधिकारों से संबंधित हर चीज को विकसित करने के प्रयास जारी रखेगा और भविष्य में भी प्रतिबंध के बिना संयुक्त राष्ट्र के सभी देशों को प्राप्त संप्रभु अधिकारों का सम्मानजनक तरीके से उपयोग जारी रखेगा।”

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कई प्रस्ताव उत्तर कोरिया को उपग्रह प्रक्षेपण और मिसाइल परीक्षण जैसी बैलिस्टिक तकनीक का उपयोग कर कोई भी प्रक्षेपण करने से प्रतिबंधित करते हैं। हालांकि, उत्तर कोरिया ने तर्क दिया कि उसे अमेरिका के सैन्य खतरों के निपटने के लिए जासूसी उपग्रहों को प्रक्षेपित करने और बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण करने का संप्रभु अधिकार है।

 

गाजा संघर्ष की समाप्ति से जुड़ी है लाल सागर की सुरक्षा : हाउती

सना
यमन के हाउती विद्रोहियों ने जी7 के एक बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए  कहा कि लाल सागर में अंतरराष्ट्रीय नौवहन की सुरक्षा इजरायल-हमास संघर्ष को समाप्त करने से जुड़ी है।

हाउती समूह के अल-मसीरा टीवी द्वारा प्रसारित एक बयान में कहा, “लाल सागर में अंतरराष्ट्रीय नौवहन की सुरक्षा और जहाज गैलेक्सी लीडर का भाग्य फिलिस्तीनी प्रतिरोध बलों की पसंद और इजरायली आक्रामकता का सामना करने में उनके लक्ष्यों से जुड़ा हुआ है।”

उल्लेखनीय है कि जी 7 विदेश मंत्रियों की बैठक में इज़रायल और गाजा की स्थिति पर एक बयान जारी किया गया, जिसमें हाउती से नागरिकों पर हमले और अंतरराष्ट्रीय शिपिंग लेन तथा वाणिज्यिक जहाजों के लिए खतरों को तुरंत रोकने और एम/वी गैलेक्सी लीडर को रिहा करने का आह्वान किया गया था। इसके चालक दल को 19 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र से अवैध रूप से बंधक बना लिया गया था।

सात अक्टूबर को इज़रायल-हमास संघर्ष शुरू होने के बाद से हाउती ने इज़रायल की ओर मिसाइल हमलों के साथ-साथ लाल सागर में वाणिज्यिक जहाज गैलेक्सी लीडर के अपहरण की जिम्मेदारी ली है।

हाउती समूह ने उत्तरी यमन के अधिकांश हिस्से पर नियंत्रण कर रहा है, जिसमें राजधानी सना और रणनीतिक लाल सागर बंदरगाह शहर होदेइदाह भी शामिल है।

 

 

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