छत्तीसगढ के लोकप्रिय लोक मंच सोनहा बादर की अंचल मे हो रही है भारी मांग.. दर्शकों ने खूब सराहा. लोक मंच नही बल्कि जीवन दर्शन है..
बालोद… गुरुर अंचल जिला बालोद के चिटौद ग्राम के छत्तीसगढ़ी लोक मंच सोनहा बादर बहुत ही कम समय मे अपनी प्रस्तुति के माध्यम से दर्शकों का भरपूर मया दुलार पा रहा हैँ,, दशहरा उतस्व मे करेजा भिलाई जहाँ पर विगत 99 सालो से आयोजन होता आ रहा हैँ वहाँ सोनहा बादर को भी अवसर मिला जहाँ सोनहा बादर के सभी कलाकारों ने वहाँ के आयोजन व दर्शकों के बीच अपनी प्रस्तुति के माध्यम से भरपूर प्रशंसा पाया,,
करेंजा भिलाई निबासी जो कि सर्वप्रथम स्वर कोकिला स्वर सम्रागयी दीदी लता मंगेशकर जी को छत्तीसगढ़ के बहुत ही लोक प्रिय गाना छूट जाहि अंगना दुवारी गाने को गवाने वाला छत्तीसगढ़ के महान ढोलक वादक जिन्होंने रफी साहब व लेजेंट क्लासिकल वादको के साथ संगत करने वाला,, व बहुत सारे सुमधुर गीतों के राइटर गुरूजी मदन शर्मा सोनहा बादर के साथ जुड़ चुके हैँ व अपने गृह ग्राम मे सोनहा बादर कि प्रस्तुति देख पूरे टीम को वहाँ के सरपंच अशोक साहू व समस्त आयोजक सहित अपना भरपूर आशीर्वाद दिया आपको बता दे सोनहा बादर के संचालक निर्देशक संगीतकार, लम्बे समय से मया के मितान, चिंहारी, के साधना किया हैँ
और छत्तीसगढ़ के पारम्परिक लोक पुट से जुडा हुआ हैँ,, सोनहा बादर पारिवारिक लोक मंच हैँ, अश्लीलता से कोसो दुर,,,, गोवर्धन पूजा के सुभअवसर पर अधिकारी कर्मचारी घोटिया मे 5 तारीख को व बहुत ही प्राचीन समय से देवारी उत्सव मनाते आ रहा भेजा मैदानी मे 6तारीख को सोनहा बादर की प्रस्तुति होनी हैँ,, सोनहा बादर के संरक्षक मीना सत्येंद्र साहू व वीरेंद्र साहू जी ने अपील किया की सोनहा बादर सिर्फ एक लोक मंच नहीं बल्कि जीवन दर्शन हैँ जो कि छत्तीसगढ़ के परम्परा व लोक संस्कृति से ओतप्रोत हैँ,,,और सोनहा बादर के सभी कलाकार छत्तीसगढ़ के माटी से जुड़े हैँ,,, यहां की प्रस्तुति के लोक जीवन झलकता हैँ।
बालोद गुरुर से ऋषभ पाण्डेय के साथ के.नागे की रिपोर्ट