नर्मदा-शिप्रा बहुउद्देशीय योजना का लोकार्पण होगा नए साल में

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उज्जैन.
1856 करोड़ रुपये की नर्मदा-शिप्रा बहुउद्देश्यीय योजना का लोकार्पण इस साल होना मुमकिन नहीं है। लोकार्पण अब नए साल 2024 में ही हो पाएगा। वजह, ढाई साल की परियोजना साढ़े चार साल बाद भी अधूरी न होना है।

अब तक नहीं पूरा हो पाया वादा
नर्मदा घाट विकास प्राधिकरण ने घटि्टया और तराना तहसील के किसानों को इस वर्ष रबी सीजन (अक्टूबर से दिसंबर) में खेतों की सिंचाई के लिए नर्मदा का पानी देने का जो वादा किया था वो भी अब तक पूरा न हो पाया है। इंतहा ये है कि इस महत्वपूर्ण परियोजना को समय सीमा में पूरा न कराने को लेकर न किसी अफसर पर कार्रवाई हुई है और ना किसी जिम्मेदारी जनप्रतिनिधि पर। परियोजना पूरी करने में बाधा बना जमीन विवाद अब भी उलझा पड़ा है। ऐसा ही मामला होटल नक्षत्र के पीछे की जमीन का है जहां पाइप लाइन बिछाने को प्रशासन राजनीतिक गतिरोध होने से अब तक जमीन उपलब्ध न करा सका है।

श‍िवराज ने किया था भूमिपूजन
मालूम हो कि उज्जैन, नागदा, उन्हेल के लोगों की पेयजल एवं औद्योगिक जरूरतों को नर्मदा के जल से पूरा कराने और घट्टिया के 7 और तराना के 77 गांवों की 30 हजार हेक्टेयर जमीन को सिंचने के लिए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने 26 सितंबर 2018 को नर्मदा-शिप्रा बहुउद्देशीय योजना का भूमिपूजन किया था।

यह बात कही थी
तब कहा था कि अगले ढाई वर्ष में (जनवरी 2022 तक) ओंकारेश्वर जलाशय से 15 क्यूसेक (15 घन मीटर प्रति सेकंड) नर्मदा का जल शिप्रा, गंभीर और काली सिंध नदी के कछारों तक 1400 मिलीमीटर व्यास की पाइपलाइन बिछाकर पहुंचाया जाएगा। इससे उज्जैन, शाजापुर, मक्सी में जल संकट सदा के लिए समाप्त हो जाएगा। साढ़े चार साल गुजरने को आए हैं और योजना अब भी मुहाने पर आकर रुकी हुई है। मुख्य कारण, किसानों की जमीन अधिग्रहित करने में आई और आ रही अड़चनें हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार प्राधिकरण से अनुबंधित एलएंडटी कंपनी 98 प्रतिशत काम पूरा करा चुकी है।

गंभीर की रा-वाटर पाइपलाइन से जोड़ने का काम भी बंद
नर्मदा पाइपलाइन से गंभीर की रा-वाटर पाइपलाइन को जोड़ने (टी-कनेक्शन) का काम कुछ महीने पहले नगर निगम ने शुरू कराया था। वो काम फिलहाल बंद है। कारण, टी-कनेक्शन के लिए पाइपलाइन उपलब्ध न होना है। बताया है कि ठेकेदार ने पाइपलाइन का कार्य आदेश निर्माता कंपनी को दिया हुआ है, उपलब्ध होते ही बिछाने का काम शुरू किया जाएगा।

कंपनी को एक करोड़ 88 लाख रुपये मिलेंगे
याद रहे कि गऊघाट से चिंतामन पुल तक 800 एमएम व्यास की 550 मीटर लंबी पाइपलाइन भोपाल की आदि एक्वा प्रोजेक्ट्स कंपनी द्वारा बिछाई जाना है। इस कार्य के एवज में कंपनी को एक करोड़ 88 लाख रुपये मिलेंगे। कायदे से काम अब पूर्ण हो जाना था मगर नहीं हो सका है। दावा है कि भविष्य में जब-जब उज्जैन में जल संकट गहराएगा, नर्मदा का शुद्ध पानी सीधे पाइपलाइन के जरिये गऊघाट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पहुंचाकर पूरे शहर में प्रदाय कराया जाएगा। उस स्थिति में शिप्रा में मिला कान्ह का प्रदूषित पानी पीने के लिए शहरवासियों को मजबूर नहीं होना पड़ेगा।

उज्जैन में नर्मदा जल लाने को तीन पाइपलाइन
नर्मदा का जल उज्जैन लाने को अब तीन पाइपलाइन उपलब्ध है। एक पाइपलाइन गंभीर बांध से 8 किलोमीटर दूर बिछा रखी है। दूसरी पाइपलाइन इंदौर के गांव मुंडला दोस्तदार स्थित पंपिंग स्टेशन से उज्जैन के त्रिवेणी क्षेत्र तक (1325 मिलीमीटर व्यास की 66.17 किमी लंबी) बिछी है, जिसका लोकार्पण साल-2019 में हुआ था। इस पाइपलाइन के दो आउटलेट हैं।

एक त्रिवेणी ब्रिज के पूर्वी तरफ हरियाखेड़ी गांव में और दूसरा त्रिवेणी मोक्षधाम के किनारे। इस पाइपलाइन को बिछाने पर 139 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। दूसरी, पाइपलाइन नर्मदा-शिप्रा बहुउद्देशीय योजना अंतर्गत बिछाई गई है। कहा गया है कि नर्मदा-शिप्रा बहुउद्देशीय योजना अंतर्गत नई पाइपलाइन बिछाने से उद्योगों को भी पानी मिला करेगा। साथ ही शहर में पानी सप्लाई करने में हो रहा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग का खर्च भी घटेगा।

पाइपलाइन से कनेक्शन लेने के लिए नगरीय निकाय, ग्राम पंचायत, किसान, उद्यमियों को शुल्क चुकाना होगा। नर्मदा जल की वर्तमान कीमत 22 रुपये 60 पैस प्रति घन मीटर है। उज्जैनवालों की पेयजल आपूर्ति करने के लिए सरकार ने नदियों का पानी उद्योग संचालन और खेतों की सिंचाई के लिए न मिलने से भूजल पर निर्भरता बढ़ती चली जा रही है। बीते चार दशकों से भूजल का अत्यधिक दोहन होने के कारण हर साल ग्रीष्मकाल में आधी आबादी को पानी के लिए परेशान होना पड़ता है।

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