पांच की आंच से सुलग रहा पाकिस्तान, बलूच संगठनों की एकता से संकट में क्यों चीनी नागरिकों की जान
नई दिल्ली.
पड़ोसी देश पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में कई आतंकी संगठनों ने हाथ मिला लिए हैं और कई अलगाववादी संगठनों का विलय हो रहा है। इससे चीनी नागरिकों को वहां खतरा पैदा हो गया है। ये चीनी नागरिक वहां चीन की अतिमहत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) से जुड़े हैं और आधारभूत संरचनाओं के विकास में जुटे हैं लेकिन हाल के कुछ महीनों और वर्षों में इन चीनी नागरिकों की सुरक्षा को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और बलूच अलगाववादी संगठनों से खतरा पैदा हुआ है।
पिछले हफ्ते, एक उच्च-स्तरीय सुरक्षा बैठक के बाद पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने कहा कि CPEC से जुड़ी परियोजनाओं के अलावा बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजनाओं में कार्यरत चीनी विशेषज्ञों, श्रमिकों और निवेशकों की सुरक्षा भी एक समान कठोर मानकों के अधीन होगी। नए प्रोटोकॉल के तहत अब सभी चीनी नागरिकों को अपने आवासीय पते की जानकारी पुलिस को देनी होगी और पुलिस उन्हें विशेष रूप से बख्तरबंद और बुलेट-प्रूफ कारों में घरों से कार्यस्थल तक लाएगी और ले जाएगी। उनके कार्यस्थलों पर भी विशेष सुरक्षा के इंतजाम के निर्देश दिए गए हैं।
पांच अलगाववादी समूहों ने बजाई खतरे की घंटी
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि बलूच विद्रोही समूह अन्य सभी बलूच अलगाववादी समूहों (बलूच लिबरेशन आर्मी, बलूच लिबरेशन, यूबीए, बीआरए और एलबी) को एक मंच पर लाकर एक महागठबंधन बनाने की तैयारी कर रहे हैं। बलूच अलगाववादियों के इस गठबंधन ने पाकिस्तान और सीपीईसी प्रोजेक्ट, सैन्डक और रेको डिक कॉपर गोल्ड प्रोजेक्ट के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। आधिकारिक रिपोर्टों के अनुसार, इन समूहों के निशाने पर हमेशा पाकिस्तान के सुरक्षा बल और चीनी नागरिक रहे हैं लेकिन जब से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना की शुरुआत हुई है, तब से उनके निशाने पर चीनी निवेशक भी आ गए हैं। पाकिस्तान में चीनी निवेशकों को निशाना बनाकर अब तक आठ बड़े हमले हो चुके हैं। इनमें आत्मघाती बम विस्फोट भी शामिल है। इससे भी बड़ी बात यह है कि आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) भी पाकिस्तान में चीनी निवेशकों को निशाना बना रहा है, जो हमलों की आग को भड़का रहा है। चीनी नागरिकों को सुरक्षा देने और देश की संपत्तियों को भी सुरक्षा मुहैया कराने में पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों को अब दो-दो मोर्चों पर खतरों का सामना करना पड़ रहा है।
बलूचिस्तान अहम क्यों?
बलूचिस्तान, पाकिस्तान का एक प्रांत है, जो दक्षिणी-पश्चिमी पाकिस्तान में स्थित है। यह अफगानिस्तान और ईरान से सटा हुआ है। यह लंबे समय से सामाजिक-राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता से जूझ रहा है। यह सीपीईसी परियोजना का स्थल भी है। कई बलूच अलगाववादी समूहों और आतंकी संगठनों का यह ठिकाना भी है। बलूच अलगाववादी इसे पाकिस्तान से अलग कर नया देश बनाने की वकालत कर रहे हैं और उसके लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। बलूचिस्तान में भारी मात्रा में प्राकृतिक खनिज मौजूद हैं। अनुमान के मुताबिक इसकी धरती में करीब दो ट्रिलियन डॉलर का खजाना छुपा है। यहां की रेत में यूरेनियम, सोना, तांबा, पेट्रोल, प्राकृतिक गैस और अन्य धातुएं मौजूद हैं जो किसी खजाने से कम नहीं है लेकिन यही खजाना बलूचों का सबसे बड़ा दुश्मन है क्योंकि पाकिस्तान इन खजानों को चीन को सौंपकर अपनी बदहाल किस्मत बदलना चाहता है। यही वजह है कि बलूचिस्तान में चीनी कंपनियों के अलावा कनाडाई और ऑस्ट्रेलियाई संस्थाओं सहित कई विदेशी कंपनियों द्वारा सैन्डेक और रेको डेक गोल्ड माइन जैसी परियोजनाओं में निवेश किया गया है ताकि प्राकृतिक संसाधानों की निकासी की जा सके। बलूच नागरिक इसका विरोध करते रहे हैं और कई अलगाववादी संगठनों ने इसके खिलाफ कई बार जंग छेड़ी है, जिसमें चीनी नागरिकों समेत बलूच विद्रोहियों की भी मौत हुई है। बता दें कि पिछले साल तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने भी पाक सरकार के साथ अस्थिर संघर्ष विराम को समाप्त कर दिया था और उसके लड़ाकों ने देशभर में हमले शुरू कर दिए थे। अब TTP और बलूच विद्रोहियों के महागठबंधन ने चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है।