दिग्विजय और कमलनाथ के बीच बढ़ रही ‘दूरी’, सोनिया दे रही हैं दखल?

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भोपाल:

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के मतदान की तारीख करीब आने के साथ ही कांग्रेस में टेंशन बढ़ गई है। कांग्रेस पार्टी के दो दिग्गजों के बीच बढ़ती दूरियों से पार्टी चिंतित है। हालांकि एमपी में दोनों नेता सफाई दे रहे हैं कि हममें कोई मनभेद नहीं है। कहा जा रहा है कि सोनिया गांधी को दोनों के बीच मध्यस्थता करनी पड़ रही है। दोनों को दिल्ली बुलाया गया है। वहीं, दिग्विजय सिंह ने इस पूरे प्रकरण पर दो दिन पहले कहा था कि बीजेपी भ्रम फैला रही है। दोनों के दिल्ली जाने पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी तंज कसा है।

एमपी में टिकट वितरण के बाद पार्टी में विरोध के स्वर उभर रहे हैं। कई जगहों पर विरोध भी हुआ है। कथित तौर पर यह कहा जा रहा है कि टिकट वितरण के बाद ही कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच दूरियां बढ़ने लगी है। इसके बाद दिग्विजय सिंह की सक्रियता भी मध्यप्रदेश में कम होने लगी थी। हालांकि दिग्विजय सिंह का कहना था कि पार्टी की जरूरी मीटिंग के कारण कुछ कार्यक्रम रद्द हुए थे।

पसंद के लोगों को टिकट नहीं मिला

 

पॉलिटिकल कॉरिडोर में यह चर्चा है कि दिग्विजय सिंह की पसंद पर कमलनाथ ने मुहर नहीं लगाई। वह इस राह में रोड़ा बने हैं। कई जगहों पर इसकी झलक दिखी है, जहां दिग्विजय सिंह के समर्थकों को इग्नोर किया गया है। वह लंबे अर्से से टिकट की मांग कर रहे थे। लेकिन सूची में उनके नाम नहीं आए। इसके बाद कथित रूप से दिग्विजय सिंह ने भी अपने पावर का उपयोग किया है और कई उम्मीदवारों के नाम पर कैंची चलवाई है।

 

कपड़े फाड़ो
दोनों के बीच मनभेद की खबरें हवा हवाई ही थी लेकिन इस बल तब मिल गया जब शिवपुरी विधानसभा सीट से दावेदार वीरेंद्र रघुवंशी के समर्थकों ने कमलनाथ को घेर लिया। इस पर कमलनाथ ने कह दिया कि दिग्विजय सिंह और जयवर्धन सिंह के कपड़े फाड़ो। इसके बाद यह विवाद तूल पकड़ने लगा। अगले दिन कमलनाथ ने पैचअप की कोशिश की। वचन पत्र के कार्यक्रम में कहा कि हम दोनों में पारिवारिक रिश्ते हैं। हमने गाली खाने की पावर ऑफ ऑटर्नी दिग्विजय सिंह को दे दी है।

दोनों के साथ दिल्ली में बैठक

वहीं, दोनों के बीच जो कुछ भी चल रहा है, उससे हाईकमान अवगत है। कथित तौर पर यह भी कहा जा रहा है कि जमीनी स्तर पर मजजबूत नेताओं की उपेक्षा इनके द्वारा किया जा रहा है। ऐसे में सोनिया गांधी ने पूरे प्रकरण में दखल दिया है। कहा जा रहा है कि उन्होंने इस मसले पर कमलनाथ से बात की है। साथ ही रविवार की रात इनके साथ बैठक भी की है।

 

 

मनभेद की खबरों को नकार रहे

इसके साथ ही मनभेद की खबरों को दोनों बड़े नेता नाकार रहे हैं। साथ ही बीजेपी पर भ्रम फैलाने का आरोप लगा रहे हैं। हालांकि ऐसी खबरों से पार्टी के सामने असहज करने वाली स्थिति है।

 

 

दोनों के रिश्ते को 30-35 साल से देख रहा हूं, जैसा दिख रहा है, वैसा कुछ है नहीं। दोनों के बीच पारिवारिक रिश्ते हैं। नई पीढ़ी को नहीं मालूम होगा कि जब दिग्विजय सिंह पहली बार मुख्यमंत्री बने थे तो उसमें कमलनाथ का बड़ा योगदान था। 2018 में जब कांग्रेस की सरकार बनी तो दिग्विजय सिंह ने वह कर्ज उतार दिया। कमलनाथ की सरकार बनने में दिग्विजय सिंह की नर्मदा यात्रा का बड़ा योगदान रहा है।

उन्होंने कहा कि हाल में कपड़े फाड़ने वाले विवाद जरूर हुए हैं। ऐसे बयानों से बड़े नेताओं को बचना चाहिए। हालांकि दोनों ने भरे मंच से हंसी ठिठोली कर ली। दिल्ली तलब विवाद को लेकर नहीं, पार्टी के बजट को लेकर यह मीटिंग होने वाली है। इन चीजों से कांग्रेस को कोई ज्यादा नुकसान नहीं होने वाला है। इससे ज्यादा अंतविर्रोध तो बीजेपी में है। मुख्यमंत्री पद के 10 दावेदार चुनाव लड़ रहे हैं।

69 बागी बीजेपी और कांग्रेस के 51 बागी मैदान में हैं। एमपी चुनाव में दिग्विजय सिंह और कमलनाथ का विवाद कोई मायने नहीं रखता है, जनता उस पर ध्यान नहीं दे रही है। जनता इस बार बदलाव के मूड में है।

 

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