साहू समाज पर BJP की नजरें, दिखेगा चुनावी दम?
रायपुर.
भाजपा ने सोमवार को छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों के लिए 64 उम्मीदवारों की अपनी दूसरी सूची जारी की। इस सूची में तीन मौजूदा सांसदों और दो पूर्व आईएएस अधिकारियों को जगह दी गई है। सूची में 20 से ज्यादा नए चेहरे भी शामिल हैं। सूची में नौ महिला उम्मीदवारों को भी मौका दिया गया है। इस सूची में पिछली रमन सिंह सरकार की कैबिनेट में शामिल मंत्रियों को भी मौका दिया गया है। इनमें बृजमोहन अग्रवाल, राजेश मूणत, महेश गागड़ा, अमर अग्रवाल, केदार कश्यप, अजय चंद्राकर, पुन्नू लाल मोहले, भैया लाल राजवाड़े और प्रेम प्रकाश पांडे शामिल हैं।
भाजपा ने जिन 64 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की है, उनमें से 19 सीटें अनुसूचित जनजाति (एसटी) और नौ सीटें अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित हैं। भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष और बिलासपुर से सांसद अरुण साव को लोरमी सीट से सरगुजा से सांसद रेणुका सिंह को भरतपुर-सोनहत (एसटी आरक्षित) से और रायगढ़ से सांसद गोमती साई को पत्थलगांव (एसटी) से मैदान में उतारा गया है। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह पारंपरिक राजनांदगांव सीट से चुनाव लड़ेंगे, जबकि राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता नारायण प्रसाद चंदेल को उनकी जंजीर-चांपा सीट से फिर से टिकट दिया गया है। मालूम हो कि भाजपा ने 17 अगस्त को 21 उम्मीदवारों की जो पहली लिस्ट घोषित की थी, उसमें 16 नए चेहरे, पांच पूर्व विधायक और पांच महिलाएं शामिल थीं। अभी पांच सीटें (बेमेतरा, खल्लारी, बेलातारा, अंबिकापुर और पंडरिया) बच गई हैं जिन पर उम्मीदवारों की घोषणा बाकी है। सूबे में भाजपा की नजरें साहू समाज के मतों पर है। यही वजह है कि भाजपा ने साजा सीट पर मंत्री रवींद्र चौबे के खिलाफ एक साहू को टिकट दिया है।
एक भाजपा नेता ने कहा- कुछ महीने पहले बिरानपुर में सांप्रदायिक झड़प में मारे गए मृतक भुवनेश्वर साहू के पिता ईश्वर साहू को टिकट देकर भाजपा ने एक राज्यव्यापी संदेश देने की कोशिश की है। छत्तीसगढ़ के मैदानी इलाकों में साहू समाज की संख्या सबसे अधिक (लगभग 12 प्रतिशत) है। साहू समाज के लोग कभी बीजेपी के पारंपरिक वोटर हुआ करते थे लेकिन 2018 के चुनाव में वे कांग्रेस की ओर शिफ्ट हो गए। यही वजह है कि भाजपा एकबार फिर साहू समाज को लुभा रही है।
दूसरी ओर, भाजपा ने दिलीप सिंह जूदेव परिवार को दो नेताओं को चद्रपुर और कोटा सीट से टिकट दिए हैं। जूदेव परिवार का पार्टी में प्रभाव है। यही वजह है कि दिवंगत दिलीप सिंह जूदेव के सबसे छोटे बेटे प्रबल प्रताप सिंह जूदेव और बहू संयोगिता जूदेव दोनों को क्रमशः कोटा और चंद्रपुर सीटों से पार्टी ने अपना टिकट दिया है। यह प्रबल प्रताप का पहला चुनाव होगा जबकि संयोगिता दूसरी बार चुनाव मैदान में होंगी। संयोगिता 2018 में रामकुमार यादव से हार गई थीं।
भाजपा ने दो पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारियों को भी टिकट दिया है जिनमें ओपी चौधरी, नीलकंठ टेकाम शामिल हैं। सूची जारी होने के बाद पहली धारणा यह थी कि रमन सिंह ने उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि इस लिस्ट की घोषणा के बाद, पार्टी कैडरों ने असंतोष व्यक्त करना शुरू कर दिया है। एक भाजपा नेता ने कहा- पार्टी ने उन्हीं पुराने चेहरों को टिकट दिया है जिन्होंने 2018 के चुनाव में पार्टी की हार में योगदान दिया था।
पिछले चार वर्षों के दौरान कांग्रेस ने भाजपा से मुकाबला करने के लिए लोगों में छत्तीसगढ़ियावाद की भावना पैदा करने का प्रयास किया है। विश्लेषकों की मानें तो ऐसा लगता है कि भाजपा के पास कांग्रेस की इस रणनीति का जवाब नहीं है। राजनीतिक टिप्पणीकार हर्ष दुबे का कहना है कि उम्मीद थी कि भाजपा बेहतर टिकट वितरण के जरिए छत्तीसगढ़ियावाद को संबोधित करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
वहीं कांग्रेस समर्थक भाजपा की दूसरी सूची के बाद आश्वस्त हैं, क्योंकि उनका मानना है कि कांग्रेस ने अंदरूनी बनाम बाहरी की एक मजबूत कहानी स्थापित कर ली है। चूंकि भाजपा के उम्मीदवार ज्यादातर पुराने हैं, इसलिए कांग्रेस को अपने 2018 के अभियान को अधिक आक्रामकता और प्रभावशीलता के साथ फिर से मजबूत करने की जरूरत है। टिकट की उम्मीद कर रहे एक अन्य बीजेपी नेता ने दावा किया कि बीजेपी कार्यकर्ता इस सूची से खुश नहीं हैं। इन ऊंची जाति के मंत्रियों के कारण ही हम 2018 का चुनाव हार गए थे। भाजपा ने उन्हीं को एकबार फिर से मौका दिया है।