एकनाथ शिंदे सरकार के लिए 40 दिन बाद फिर संकट, मराठा आरक्षण पर दोबारा भूख हड़ताल

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 मुंबई

मराठा आरक्षण को लेकर विरोध प्रदर्शन का सामना कर रही एकनाथ शिंदे सरकार को मिली 40 दिन की मोहलत खत्म हो गई है। इसके साथ ही बुधवार को एक बार फिर से मराठा आरक्षण की मांग करने वाले मनोज जारांगे पाटिल ने भूख हड़ताल शुरू कर दी है। मराठा संगठनों ने एकनाथ शिंदे सरकार को 40 दिनों का अल्टिमेटम दिया था। यह समयसीमा मंगलवार को खत्म हो गई और फिर से मनोज पाटिल ने भूख हड़ताल शुरू कर दी है। फिलहाल एकनाथ शिंदे सरकार मनोज पाटिल से बातचीत करने में जुटी है और उन्हें राजी कर रही है कि वह भूख हड़ताल को वापस ले लें।

एकनाथ शिंदे ने दशहरे के मौके पर कहा भी था कि वह मराठा कोटे के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसके लिए आखिरी तक जंग लड़ेंगे। वहीं मनोज पाटिल का कहना है कि सरकार कोई ठोस कदम उठाकर दिखाए, तभी वह पीछे हटेंगे। पाटिल का कहना है कि राज्य के सभी मराठाओं को कुनबी जाति का सर्टिफिकेट मिलना चाहिए, जो मराठा समुदाय की ही एक बिरादरी है। राज्य में कुनबी जाति के लोगों को ओबीसी के तहत नौकरियों और सरकारी संस्थानों में दाखिले पर आरक्षण मिलता है। पाटिल ने सरकार को रविवार को ही अल्टीमेटम दे दिया था कि वह मंगलवार तक आरक्षण का ऐलान कर दे वरना वह दोबारा भूख हड़ताल शुरू कर देंगे।

खबर है कि राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री गिरीश महाजन ने उनसे फोन बात की और कहा कि वह अपना प्रदर्शन वापस ले लें। उन्होंने कहा कि सरकार इस तरह से आरक्षण देगी ताकि उसे वैधानिक चुनौती न मिल सके। उन्होंने कहा कि इस मामले में कोई भी जल्दबाजी आरक्षण के पूरे मामले को बिगाड़ देगी। उन्होंने पाटिल से कहा कि पहले भी दो बार जल्दबाजी में आरक्षण का ऐलान किया गया है, लेकिन अंत में वह खारिज ही हो गया। ऐसे में हम इस बार पूरी तरह प्लानिंग के साथ ही आगे बढ़ना चाहते हैं।

वहीं मनोज पाटिल अपनी बात पर अड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार आखिर अपनी बात पर कायम क्यों नहीं है। उन्होंने कहा, 'आपने हमसे 30 दिनों के लिए कहा था और हमने आपको 41 दिनों का वक्त गिया। अब क्या दिक्कत है? आखिर सरकार अपनी बात पूरी क्यों नहीं कर पा रही है। अब यदि हम अपना आंदोलन दोबारा शुरू कर रहे हैं तो इससे दिक्कत ही क्या है?' वह मराठा कोटे के लिए हुए आंदोलन के दौरान दर्ज कराए गए केसों को वापस न लिए जाने से भी नाराज हैं।

पाटिल का कहना है कि वह भूख हड़ताल के दौरान खाना, पानी सब कुछ त्याग देंगे। यही नहीं कोई मेडिकल सपोर्ट भी नहीं लेंगे। उनका कहना है कि मराठा बहुल गांवों में विधायकों और सांसदों को आरक्षण के ऐलान तक एंट्री नहीं मिलेगी। दरअसल मराठा संगठनों का कहना है कि हम अपने आंदोलन को राजनीतिक रंग नहीं देना चाहते ताकि मुद्दों से बात भटके नहीं। पाटिल का कहना है कि वह तीन दिन तक सांकेतिक भूख हड़ताल पर रहेंगे। इस दौरान कोई फैसला न हुआ तो वह 28 तारीख से पूरी तरह भूख हड़ताल पर चले जाएंगे।

 

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