इजरायल के खिलाफ सुरक्षा परिषद में गिरे 4 प्रस्ताव, अब 5वां लाने की तैयारी

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इजरायल
इजरायल के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में अब तक 4 प्रस्ताव गिर चुके हैं। दरअसल आतंकी संगठन हमास के खिलाफ जारी युद्ध के बीच गाजा में बड़ी संख्या में नागरिक मारे गए हैं। इसको लेकर दुनियाभर में इजरायल की आलोचना हो रही है। अब चार असफल प्रयासों के बाद, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इजरायल-हमास युद्ध पर एक और प्रस्ताव लाने के लिए पांचवीं बार प्रयास कर रही है। हालांकि यह देखा जाना बाकी है कि शब्दों पर आम सहमति बनाने के लिए गंभीर मतभेदों को दूर किया जा सकता है या नहीं।

प्रस्ताव को लेकर जो मसौदा तैयार किया गया है उसमें नागरिकों को अत्यंत आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए पूरे गाजा पट्टी में "तत्काल विस्तारित मानवीय ठहराव" की मांग की जाएगी। इसमें यह भी मांग की जाएगी कि "सभी पक्ष" अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करें। इसमें कहा गया है कि इन कानूनों के मुताबिक, नागरिकों की सुरक्षा, बच्चों के लिए विशेष सुरक्षा और बंधक बनाने पर प्रतिबंध लगाया जाता है।

यह प्रस्ताव परिषद सदस्य माल्टा द्वारा प्रस्तावित है। हालांकि इसके मसौदे में युद्धविराम का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। इसमें 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास के हमले का भी उल्लेख नहीं है। इस हमले में लगभग 1,200 लोग मारे गए और लगभग 240 अन्य को बंधक बना लिया गया। इसके अलावा, इसमें हमास शासित गाजा में इजरायल के जवाबी हवाई हमलों और जमीनी हमले का भी उल्लेख नहीं है। इजरायली हमलों के बारे में गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि 11,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें से दो-तिहाई महिलाएं और बच्चे हैं।

15 सदस्यीय परिषद पर अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने की जिम्मेदारी है। लेकिन यह परिषद युद्ध शुरू होने के बाद से एकजुट नहीं है। चीन और रूस तत्काल युद्धविराम चाहते हैं, लेकिन इजरायल के सबसे करीबी सहयोगी अमेरिका ने मानवीय विराम का आह्वान करते हुए युद्धविराम के किसी भी उल्लेख पर आपत्ति जताई है।

पिछले चार प्रयासों में, ब्राजील द्वारा तैयार किए गए प्रस्ताव को अमेरिका द्वारा वीटो कर दिया गया था। अमेरिका द्वारा तैयार किए गए प्रस्ताव को रूस और चीन द्वारा वीटो कर दिया गया था। इसके अलावा, रूसी ने दो मसौदा प्रस्ताव पेश किए लेकिन इन्हें अपनाया नहीं जा सका क्योंकि इसे अपनाने के लिए आवश्यक कम से कम नौ "हां" (यस) वोट नहीं मिले। काउंसिल के कई राजनयिकों ने कहा कि विरोधी पक्ष करीब आ रहे हैं। दो ने कहा कि ताजा मसौदे पर मतदान बुधवार की शुरुआत में हो सकता है लेकिन प्रतिनिधिमंडल अभी भी अपने देश का रुख जानने में लगे हैं।  

विचाराधीन प्रस्ताव में कहा गया है कि सभी जरूरतमंदों को पानी, बिजली, ईंधन, भोजन और चिकित्सा आपूर्ति प्राप्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र, रेड क्रॉस और अन्य सहायता कर्मियों द्वारा निर्बाध पहुंच के वास्ते गलियारे खोलने के लिए मानवीय रुकावट "पर्याप्त दिनों के लिए" होनी चाहिए। इसमें कहा गया है कि रुकावटों से आवश्यक बुनियादी ढांचे की मरम्मत की अनुमति मिलनी चाहिए और तत्काल बचाव और पुनर्प्राप्ति प्रयासों को सक्षम किया जाना चाहिए।

इससे पहले भारत ने ‘कब्जे वाले फलस्तीनी क्षेत्र’ में बस्तियां बसाने की इजराइली गतिविधियों की निंदा करने वाले प्रस्ताव सहित पश्चिम एशिया में स्थिति से संबंधित पांच प्रस्तावों के पक्ष में मतदान किया, जबकि एक से दूरी बनाई। ‘पूर्वी यरुशलम सहित कब्जे वाले फलस्तीनी क्षेत्र और कब्जे वाले सीरियाई गोलान में इजराइली बस्तियां’ शीर्षक वाले मसौदा प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र महासभा की विशेष राजनीतिक और विउपनिवेशीकरण समिति (चौथी समिति) ने रिकॉर्ड 145 मतों से मंजूरी दे दी। बृहस्पतिवार को हुए मतदान में प्रस्ताव के विरोध में सात वोट पड़े और 18 देश अनुपस्थित रहे।

प्रस्ताव के ख़िलाफ़ मतदान करने वालों में कनाडा, हंगरी, इज़राइल, मार्शल द्वीप, माइक्रोनेशिया संघीय राज्य, नाउरू और अमेरिका शामिल थे। भारत, बांग्लादेश, भूटान, चीन, फ्रांस, जापान, मलेशिया, मालदीव, रूस, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका और ब्रिटेन सहित 145 देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। प्रस्ताव की शर्तों के अनुसार, महासभा पूर्वी यरुशलम सहित कब्जे वाले फलस्तीनी क्षेत्र और कब्जे वाले सीरियाई गोलान में बस्तियां बसाने की गतिविधियों और भूमि की जब्ती, व्यक्तियों की आजीविका में व्यवधान, नागरिकों के जबरन स्थानांतरण से जुड़ी किसी भी गतिविधि की निंदा करती है।

 

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