जनहित पार्टी के मैदान में उतरने से भाजपा की सात हाईप्रोफाइल सीटों पर कार्यकर्ताओं का विशेष फोकस
भोपाल
विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस अपनी- अपनी सरकार बनाने के लिए धुआंधार प्रचार अभियान में भले ही जुट गयी हो। दोनों राजनीतिक पार्टियों के स्टार प्रचारक मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए लगातार प्रचार और रैली कर रहे है। लेकिन संघ से अलग होकर आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने जनहित पार्टी बनाकर प्रदेश की कुछ सीटों पर उम्मीदवारों को मैदान में उतार दिया है। जिससे यह चुनाव काफी रोचक हो गया है।
भाजपा ने जहां तीन केंद्रीय मंत्री सहित छह सांसदों को मैदान में उतारकर विधानसभा चुनाव में उतारकर भले ही पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने का दावा कर रही हो। लेकिन जनहित पार्टी के उम्मीदवार इंदौर क्रमांक एक, पांच, ग्वालियर-दक्षिण, सतना, सौंसर, भिंड सहित अन्य सीटों पर मैदान में है। जनहित पार्टी का संघ से पुराना जुड़ाव होने के चलते भाजपा के अधिकांश कार्यकर्ताओं की सबसे ज्यादा भीड़ इंदौर क्रमांक एक, दिमनी, निवास, सीधी, सतना, जबलपुर पश्चिम और नरसिंहपुर विधानसभा में दिखाई दे रही है। क्योंकि इन सीटों पर भाजपा के दिग्गज चुनाव मैदान में है। साथ ही दिग्गजों के मैदान में होने से पार्टी की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। इन सभी सीटों पर कार्यकर्ताओं द्वारा ज्यादा ध्यान देने पर प्रदेश की अन्य सीटों पर कार्यकर्ता उतना ज्यादा फोकस नहीं कर पा रहे है।
रिपोर्ट कार्ड बेहतर करने में जुटे
भाजपा के राष्टÑीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय , केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर , फ ग्गन सिंह कुलस्ते, प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह,रीति पाठक सहित गणेश सिंह का कार्यकर्ताओं से सीधा संबंध रहा है। साथ ही केंद्रीय मंत्री सहित कैलाश विजयवर्गीय प्रदेश की सियासत लंबे समय से कर रहे है। यही वजह है कार्यकर्ता इन दिग्गजों से लंबे समय से जुड़े हुए है। जनहित पार्टी का संगठन भले ही अभी उतना मजबूत नहीं हो, लेकिन भाजपा की हाईप्रोफाइल सीटों पर जनहित पार्टी अपना विशेष नजर रखी हुई है। यही वजह है कि बीजेपी का संगठन भी इन सीटों को लेकर कुछ ज्यादा ही गंभीर है। संगठन के पदाधिकारियों के अलावा कार्यकर्ता भी इन सीटों पर अपने दिग्गजों को भारी मतों से चुनाव जिताने के लिए दिन- रात एक किए हुए है। साथ ही इन दिग्गजों की निगाह में कार्यकर्ता अपना रिपोर्ट कार्ड बेहतर बनाने के लिए लगातार मेहनत कर रहे हंै।
कांग्रेस के उम्मीदवार अपने दम पर
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की एक दर्जन से ज्यादा हाईप्रोफाइल सीट है। लेकिन कांग्रेस की हाईप्रोफाइल सीट उम्मीदवार अपने दम पर चुनाव लड़ रहे है। छिंदवाड़ा से कमलनाथ , राघोगढ़ से जयवर्धन, सोनकच्छ से सज्जन वर्मा, लहार विधानसभा से गोविंद सिंह, शिवपुरी से केपी सिंह, राजपुर से बाला बच्चन। इन सभी सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार कार्यकर्ताओं की बजाए अपने दम पर चुनाव प्रचार कर रहे हैं और लोगों से जनसंपर्क कर रहे है। कांग्रेस से जुड़े लोगों का कहना है कि इन सभी सीटों पर कांग्रेस का कोई बड़ा चेहरा उम्मीदवारों के पक्ष में बहुत ज्यादा प्रचार नहीं कर रहा है। बल्कि कांग्रेस के यह दिग्गज नेता अपनी पार्टी के दूसरे उम्मीदवारों को चुनाव जिताने के लिए लगातार मेहनत कर रहे है।
कांग्रेस को जनता से उम्मीद
पिछले विधानसभा चुनाव में जनता ने कांग्रेस को जमकर समर्थन दिया था। कांग्रेस ने सरकार भी बनाई लेकिन वो सिर्फ 15 महीने ही चल सकी। उपचुनाव के बाद भाजपा ने फिर सत्ता में वापसी की। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जनता ने जो समर्थन दिया था कांग्रेस को इस विधानसभा चुनाव में भी जनता के उसी समर्थन की पूरी उम्मीद है। कांग्रेस से जुड़े लोगों का कहना है कि भाजपा के 18 साल की सरकार से जनता ऊब चुकी है। प्रदेश की जनता भी बदलाव चाहती है। कांग्रेस के उम्मीदवारों का दो टूक कहना है कि इस चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार के अलावा जनता भी चुनाव मैदान में है।