तोमर, सिंधिया को दिखाना होगा चमत्कार, कमलनाथ अपने उम्मीदवारों के भरोसे
भोपाल
ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में कब्जा जमाने के लिए भाजपा और कांग्रेस को अपना दम दिखाना होगा। यहां की स्थिति को भांपते हुए ही भाजपा ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को विधानसभा चुनाव के मैदान में उतारा है। तोमर के साथ ही केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव और लोकप्रियता को भी यहां पर भुनाया जा रहा है। कांग्रेस में इन दोनों नेताओं के कद को कोई नेता इस क्षेत्र में नहीं हैं, इसका फायदा भाजपा को कितना मिलेगा यह देखना होगा।
ग्वालियर-चंबल के आठ जिलों में विधानसभा की 34 सीटें आती हैं। सत्ता तक पहुंचने के रास्ते में यह अंचल महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां से भाजपा महज 7 सीटों पर जीती थी, एक पर बसपा ने कब्जा जमाया था, बाकी की सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। उस वक्त का दृश्य जो था, उसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के साथ थे, उन्होंने चुनाव प्रचार मे इस क्षेत्र की कमान संभाली थी, जिसमें चलते कांग्रेस ने यहां की 34 सीटों में से 26 सीटों पर जीत दर्ज की थी। करीब सवा साल बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस के कई विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया। उपचुनाव में भाजपा ने यहां से आठ सीटें और जीती, वहीं बसपा के संजीव सिंह ने पार्टी बदल कर भाजपा की सदस्यता ले ली। उपचुनाव के बाद यहां पर भाजपा के विधायकों की संख्या बढ़कर 17 हो गई। वहीं कांग्रेस के विधायकों की संख्या घट कर 17 पर पहुंच गई।
दोनों ही दलों ने साधे जातिगत समीकरण
भाजपा और कांग्रेस ने उम्मीदवारों के चयन में भी यह ध्यान रखा है कि जातिगत समीकरण कहीं गड़बड़ न हो। इसके चलते ही क्षत्रिय, ब्राह्मण सहित अन्य वर्ग के आने वाले नेताओं को इसी समीकरण के साथ उम्मीदवार बनाया गया है कि वे अपने समाज के वोट लें सकें और दूसरी सीटों पर अपनी पार्टी को वोट दिलवा भी सकें।
भाजपा लगा रही पूरी ताकत
इस अंचल में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के लिए ही भाजपा ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को चुनाव में ही उतारा है, जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया भी पूरी ताकत के साथ इस क्षेत्र में प्रचार कर रहे हैं। यानि भाजपा इस क्षेत्र में अपनी मजबूती बरबरार रखने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। इस क्षेत्र में भाजपा ज्यादा से ज्यादा सीटें जीते इसे लेकर इस क्षेत्र में गृह मंत्री अमित शाह दो बार दौरा कर चुके हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की भी यहां पर सभाएं हो चुकी है।
कांग्रेसी उम्मीदवार अपनी दम पर
कांग्रेस में यहां पर कोई बढ़ा नेता दम नहीं भर रहा है, उम्मीदवारों को अपनी दम खुद ही दिखाना होगी। कांग्रेस अपने वचन पत्र के जरिए भी यहां पर सीटें बढ़ाने के प्रयास में हैं। हालांकि यहां पर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह, रामनिवास रावत के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह और बेटे जयवर्धन सिंह जैसे नेता चुनाव में उतरे हुए हैं। दिग्विजय सिंह भी इस अंचल से ही आते हैं, वे भी अपना प्रभाव दिखाने का प्रयास करेंगे।