कानूनी पेंचों और एंटी इंकंबेंसी की धूप में तपना होगा पटवा को…

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रायसेन

पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के भतीजे और भोजपुर से भाजपा प्रत्याशी सुरेंद्र पटवा को बेशक चुनाव आयोग से राहत मिल गई है, लेकिन एंटी इनकंबेंसी और पार्टी के गुटीय असंतोष उनके लिए आफत बनता जा रहा है। साथ ही लोग उनके विरोधी उनके खिलाफ दर्ज 100 से ज्यादा कानूनी मामलों में प्रचार में इस्तेमाल किए जा सकने वाले तथ्य खंगाल रहे हैं।

इसी के चलते कांग्रेस के प्रत्याशी राजकुमार पटेल, भाजपा के बागी निर्दलीय गणेश मालवीय और संयम जैन ने पटवा पर चुनाव आयोग के प्रोफार्मा में छेड़छाड़ एव आपराधिक प्रकरणों की जानकारी छिपाने सहित गंभीर आरोप लगाते हुए आपत्ति दर्ज कराई गई। जिसमें तथ्य दिए गए कि पटवा ने अपने नामांकन में 167 केसों की जानकारी उल्लेख की जबकि 501 प्रकरण दर्ज होने के साक्ष्य हैं। जिसके बाद उनका नामांकन होल्ड कर दिया गया था। भोजपुर सीट से 19 प्रत्याशियों ने 22 नामांकन दाखिल किए थे, इसमें से 14 स्वीकृत किए गए गए थे, चार नामांकन रिजेक्ट किए गए थे। पटवा के नामांकन फॉर्म को लेकर दाखिल की गई आपत्ति को रिटर्निंग अधिकारी ने निरस्त कर दिया है।

मालवीय और जैन बढा़एंगे मुश्किलें…
पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के भतीजे एवं पूर्व मंत्री रहे सुरेंद्र पटवा साल 2008 से लगातार यहां से विधायक बनते आ रहे हैं। भाजपा ने पांचवी बार उन्हें यहां से चुनाव मैदान में उतारा है। ग्राउंड रिपोर्ट के मुताबिक इस बार उन्हें काका साब के नाम की छांव मिलने के आसार नहीं है, बल्कि उन्हें कानूनी पेंचों और एंटी इंकंबेंसी की धूप में तपना होगा। दरअसल संयम जैन उनके कोर वोटर्स में सेंध लगा सकते हैं और गणेश मालवीय की ग्रास रूट वर्किंग उनकी नाम में दम कर सकती है। सयंम और गणेश जितना नुकसान सुरेंद्र को पहुंचाएंगे उसका उतना ही फायदा कांग्रेस के प्रत्याशी राजकुमार पटेल को मिलने के आसार बनते जा रहे हैं। वैसे भी इस इलाके में राजकुमार पटेल काफी अरसे से सक्रिय भी हैं और समाजिक क्षेत्रों में उनकी खासी धाक भी है..।

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