मायावती-गोंगपा गठबंधन से मुश्किल में भाजपा-कांग्रेस

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रायपुर.

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां जोर लगा रही हैं। भाजपा ने उम्मीदवारों की सूची भी जारी कर दी है। वहीं कांग्रेस अगले कुछ दिनों में प्रत्याशियों को एलान कर देगी। इस बीच बसपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के एक एलान ने दोनों पार्टियों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। विधानसभा चुनाव 2023 में दोनों पार्टियां एक साथ में चुनावी मैदान में उतरने जा रही हैं। वहीं, दूसरी तरफ भाजपा और कांग्रेस से टिकट की दावेदारी कर रहे नेताओं अपने दल से निराशा मिलने के बाद बसपा को सबसे मुफीद दल माना है। खासकर उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे इलाकों में बसपा का अच्छा खासा प्रभाव है। विंध्य, बुंदेलखंड और चंबल में बसपा के पास अच्छा जनाधार है।

मध्यप्रदेश के साथ छत्तीसगढ़ पर इतनी सीटों पर बनी सहमति
बसपा 178 सीटों और गोंगपा 52 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। जो भाजपा और कांग्रेस को टक्कर देंगी। दोनों ही दलों में ग्वालियर चंबल की सभी सीटें बीएसपी के पास रखने पर सहमति बनी है। इसके साथ ही विंध्य क्षेत्र और बुंदेलखंड की अधिकांश सीटों पर बीएसपी को चुनाव लड़ने के लिए गोंगपा ने सहमति दी है। इसके अलावा बसपा ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए गोंगपा से गठबंधन किया है। छत्तीसगढ़ की 90 सीटों में से 41 फीसदी सीटों पर गोंगपा चुनाव लड़ेगी। यानी 53 सीटों पर बसपा और 37 सीटों पर गोंडवाना अपने उम्मीदवार उतारेगी।

मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में आदिवासी समाज सभी दलों के टारगेट पर हैं। पिछले चुनाव में आदिवासी सीटों पर कांग्रेस को बड़ा फायदा हुआ था। भाजपा जहां आदिवासी वर्ग को लुभाने की लगातार कोशिशें कर रही है, तो कांग्रेस के नेता आदिवासियों में कांग्रेस का डीएनए बता रहे हैं। इस बीच विधानसभा चुनाव में दमखम दिखाने के लिए मध्यप्रदेश में बसपा ने राजनीतिक गठजोड़ कर लिया है। इस गठबंधन से राजनैतिक समीकरण भी बदल गए हैं। बसपा के राज्यसभा सांसद रामजी गौतम ने कहा है कि प्रदेश में 22 फीसदी आदिवासी हैं, और 4 फीसदी दलित हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने इनका शोषण किया है। हमारा गठबंधन तीसरे मोर्चे के तौर पर चुनाव लड़ेगा। इस बार के चुनाव में सत्ता की चाबी हमारे गठबंधन के पास होगी।

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