पूर्व MLA को मनाने में नाकाम हुई कांग्रेस, 29 कार्यकर्ताओं ने भी छोड़ा पार्टी का साथ
अंतागढ़
छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के 12 विधानसभा सीटों में प्रथम चरण में होने वाला चुनाव काफी रोमांचक होने वाला है. इस बार बस्तर के 12 विधानसभा सीटों में भाजपा कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों के साथ आदिवासी समाज भी चुनावी मैदान में उतर चुकी है. खासकर अंतागढ़ विधानसभा में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है, क्योंकि संभाग के अंतागढ़ विधानसभा सीट से वर्तमान विधायक अनूप नाग को कांग्रेस के बड़े नेता मना पाने में नाकाम साबित हो गए है.
दरअसल कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने के चलते अनूप नाग ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बना लिया है. 23 अक्टूबर नाम वापसी के अंतिम दिन तक माना जा रहा था कि अनूप नाग को पार्टी के बड़े नेता मना लेंगे और ऐसे में वह अपना नाम वापस ले लेंगे. लेकिन मान मुनव्वल के बावजूद अनूप नाग ने नाम वापस नहीं लेते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने का ही मन बना लिया है और 24 अक्टूबर से चुनाव प्रचार में भी जुट गए हैं. खास बात यह है कि अनूप नाग के साथ उनके विधायक प्रतिनिधि और पार्टी के 29 पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने भी कांग्रेस को अपना त्यागपत्र दे दिया है. बताया जा रहा है कि अनूप को टिकट नहीं देने से उनके कार्यकर्ता भी काफी नाराज हैं. इसलिए उन्होंने पार्टी का दामन ही छोड़ दिया है. दरअसल इस विधानसभा सीट से कांग्रेस ने इस बार अनूप नाग की जगह रूप सिंह पोटाई को टिकट दिया है, जिससे इस क्षेत्र के कांग्रेसी कार्यकर्ता काफी नाराज है और इसलिए अनूप नाग के चुनाव प्रचार में जुट गए हैं.
तीन प्रत्याशियों के बीच होगा कड़ा मुकाबला
बस्तर संभाग के 12 विधानसभा सीटों में अंतागढ़ भी हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है. इस सीट से इस बार कुल 13 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे हैं. भाजपा से पूर्व सांसद विक्रम उसेंडी, कांग्रेस से रूप सिंह पोटाई, आम आदमी पार्टी से संतराम सलाम और विधायक अनूप नाग इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. इन प्रत्याशियों के बीच कड़ा मुकाबला है. चूंकि अनूप नाग 5 साल विधायक रह चुके हैं ऐसे में भाजपा, कांग्रेस के प्रत्याशी और निर्दलीय प्रत्याशी अनूप नाग के बीच कांटे की टक्कर बताई जा रही है. सूत्रों के मुताबिक पार्टी के बड़े नेताओ ने अनूप नाग से कई बार संपर्क साधने की कोशिश की और मान मुनव्वल का भी दौर चला, लेकिन अनुप नाग ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बना लिया और 24 अक्टूबर से चुनावी प्रचार प्रसार में भी जुट गए हैं.
कुछ नाराज उम्मीदवारों को मना पाने में कामयाब हुए नेता
भाजपा में भी जगदलपुर विधानसभा से पूर्व विधायक संतोष बाफना और दंतेवाड़ा सीट से ओजस्वी मंडावी का भी टिकट कटने से दोनो ही नेता संगठन से काफी नाराज हो गए, लेकिन इन दोनों ही नेताओं को भाजपा के बड़े नेता मना पाने में कामयाब हो गए. वहीं कांग्रेस पार्टी में भी जगदलपुर विधानसभा सीट से टिकट नहीं मिलने से नाराज कांग्रेसी नेता टीवी रवि को भी एन वक्त पर निर्दलीय चुनाव लड़ने से रोक पाने में पार्टी के नेता कामयाब हो गए, लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टी में उम्मीदवारों के टिकट कटने से उनमें नाराजगी हो सकती है, जिसका फायदा दूसरे राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशियों को मिल सकता है. फिलहाल दोनों ही बड़े राजनीतिक दलों के नेता और प्रत्याशी अपनी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं.