पुतिन ने ब्लैक सी में उतारी किंजल हाइपरसोनिक मिसाइल

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नईदिल्ली

इजरायल और हमास के बीच संघर्ष जारी है. हमास ने जब दो हफ्ते पहले इजरायल पर हमला किया, अमेरिका इसके ठीक तुरंत बाद ही इजरायल के समर्थन में आ गया. राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हर प्रकार से सहायता का भरोसा दिया और चंद घंटों बाद ही सैन्य बेड़े इजरायल की ओर रवाना किए. कुल मिलाकर अमेरिका पूरी गहराई से इजरायल और फिलिस्तीनी संघर्ष में उतरता जा रहा है, लेकिन इस बात से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की पेशानियों पर बल पड़ने लगे हैं. आखिर उनकी चिंता का कारण क्या है?

बाइडेन प्रशासन ने इजरायल के समर्थन में भेजे हैं पोत
बता दें कि,  इजरायल का समर्थन करने के लिए बाइडन प्रशासन ने दूसरे विमानवाहक पोत यूएसएस ड्वाइट डी. आइजनहावर कैरियर स्ट्राइक ग्रुप को पूर्वी भूमध्य सागर में भेजा है. अमेरिकी रक्षा सचिव लायड आस्टिन ने कहा कि इसे इजरायल के खिलाफ उठ रहे कदमों और इस युद्ध को व्यापक बनाने के किसी भी प्रयास को रोकने के लिए भेजा गया है. आइजनहावर यूएसएस गेराल्ड आर.फोर्ड कैरियर स्ट्राइक ग्रुप में शामिल हो जाएगा, जो पहले से ही इजरायल के पास मौजूद है. यह कदम वहां लड़ाकू विमान और क्रूजर के साथ अमेरिकी उपस्थिति को बढ़ाने के लिए उठाया गया है.

रूस ने काला सागर में तैनात की किंजल
अमेरिका की इजरायल के लिए की जा रही इस मदद को लेकर उन्होंने चीन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद एक प्रेस कांन्फ्रेंस में अपनी बात रखी. रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि, अमेरिका ने इज़राइल और फिलिस्तीनियों के बीच संघर्ष के जवाब में भूमध्य सागर में दो विमान वाहक पोत भेजे हैं. रूस ने भूमध्य सागर में अमेरिका की सीधी मौजूदगी को अपने लिए अकथित चेतावनी के तौर पर लिया है. लिहाजा रूस ने किंजल हाइपरसोनिक मिसाइलों के साथ रूसी विमानों को काला सागर पर गश्त करने का आदेश दिया है.

इजरायल का समर्थन, रूस पर निशाना
एक तरह से अमेरिका, इजरायल के समर्थन में तो खड़ा ही है. दूसरी ओर वह रूस को भी समुद्री सीमा पर सीधा निशाना बना रहा है. यानि एक तरह से दोनों ही देश बिना कहे ही एक-दूसरे के आमने-सामने हैं. भौगोलिक तौर पर देखें तो भूमध्य सागर और काला सागर की स्थिति और उनके बीच की दूरी भी उल्लेखनीय है. असल में काला सागर उत्तर और उत्तर पश्चिम में यूक्रेन, पूर्व में रूस तथा जॉर्जिया, दक्षिण में तुर्की एवं पश्चिम में बुल्गारिया व रोमानिया से घिरा हुआ है.

रूस के लिए क्यों जरूरी है काला सागर
इसकी समुद्री भौगोलिक स्थिति पर नजर डालें तो यह बोस्पोरस जलडमरूमध्य के जरिए मरमारा सागर से तथा डारडेनेल्स जलडमरूमध्य के माध्यम से एजियन सागर से जुड़ा है. काला सागर क्षेत्र पर प्रभुत्व रूस की एक भू-रणनीतिक जरूरत है जो भूमध्य सागर में रूसी शक्ति को संरक्षित करने के लिए जरूरी है.

सिर्फ 1700 किमी है भूमध्य सागर और ब्लैक सी की दूरी
भूमध्य सागर से काला सागर की भूरेखीय दूरी 1700 किमी ही है. इस तरह अमेरिका ने रूस के नजदीक अपना सैन्य बेड़ा उतार दिया है. एक तरफ अमेरिका पहले ही रूस-यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन का मददगार है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध में अमेरिका गहराई तक उतरता जा रहा है. साथ ही कहा कि अमेरिका यूक्रेन को लंबी दूरी की ATACMS मिसाइलें प्रदान करके गलती कर रहा है. रूस ने कहा कि, ये एक बड़े पैमाने की गई गलती है. अमेरिका इस संघर्ष में अधिक से अधिक व्यक्तिगत रूप से शामिल होता जा रहा है और किसी को यह नहीं कहना चाहिए. उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है.

 

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