बस्तर दशहरा पर्व शुरू, दंतेश्वरी मंदिर में 600 साल पुरानी परंपरा की हुई शुरुआत

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बस्तर

 600 साल पुरानी परंपरा की शुरुआत हुई। यह पर्व 107 दिन तक मनाया गया। इस दौरान स्कॉटलैंड जिले के जगदलपुर शहर में चिड़ियाघर की आराध्या देवी मां दंतेश्वरी के मंदिर के निकट डेरी गढ़ाई की झांकियां दिखाई दीं। विश्व प्रसिद्ध वन्य वर्ष दशहरा 2023 पूर्व वर्ष की सम्मिलित कथा कथा डेरी गढ़ाई का कार्यक्रम 27 सितंबर को सिरहासार भवन में दोपहर 11 बजे आयोजित किया गया है। इस पर्व में विभिन्न पूजा विधानों के दौरान आगामी 14 अक्टूबर को कंचनगाड़ी पूजा विधान, 15 अक्टूबर को कलश स्थापना एवं जोगी देवी महोत्सव पूरी तरह से आयोजित होंगे।

वहीं 21 अक्टूबर को बेल पूजा और रथ पूजा विधान, 22 अक्टूबर को निशा जात्रा और महालक्ष्मी पूजा विधान, 23 अक्टूबर को कुसुम पूजा विधान, जोगी निर्मित और मावली परघाव पूजा विधान होगा। ऐतिहासिक दशहरा उत्सव के दौरान 24 अक्टूबर को रानी पूजा एवं रथयात्रा पूजा विधान, 26 अक्टूबर को कंचन जात्रा और 27 अक्टूबर को कुटुंब जात्रा पूजा विधान पूरी तरह से की जाएगी और 31 अक्टूबर को दशहरा होगा।

दशहरा की डेरी घड़ाई बारात

हरेली रथ यात्रा के दिन की पहली लकड़ी लाई जाती है और उसके बाद अन्य लकड़ियों को लाया जाता है। डेरी गढ़ाई की बारात के बाद माचकोट के जंगल में स्थित लकड़ियों से मां दन्तेश्वरी का रथ का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। टिनसा दशहरा में रथ निर्माण के लिए केवल एक वर्ष और तिनसा स्टाफ की लकड़ियों का उपयोग किया जाता है। तिनसा आर्किटेक्चर की लकड़ियों से पहिए का एक्सल बनाया जाता है और रथ निर्माण के बाकी सभी कार्य साल की लकड़ियों से पूरे किए जाते हैं।

विश्व प्रसिद्ध समुद्री दशहरा करीब 600 साल पुरानी परंपरा है। रियासतकालीन परंपरा को आज के आधुनिक युग में भी संपूर्ण रीति रिवाज के साथ मनाया जाता है। विदेशी दशहरा पर्व देखने के लिए देश विदेश से भी सैलानी जगदलपुर की कतारें हैं।

 

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