किसान भाइयों 26 मई दिन बुधवार को राष्ट्रव्यापी काला दिवस मनाए.. जनक लाल ठाकुर पूर्व विधायक.

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किसान भाइयों 26 मई दिन बुधवार को राष्ट्रव्यापी काला दिवस मनाए.. जनक लाल ठाकुर पूर्व विधायक. बालोद.दल्लीराजहरा/.छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा एवं पूर्व विधायक जनक लाल ठाकुर जी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि 5 मई 2020 को मोदी सरकार द्वारा बड़े उद्योगपतियों को कृषि क्षेत्र में मुनाफा कमाने के लिए तीन कृषि कानून को अध्यादेश के माथहत पूरा देश में लागू कर दिया तब से पंजाब के किसान कई जिलों में इस कृषि अध्यादेश का विरोध जारी रखे हुए हैं इन तीनों कृषि कानून निम्नानुसार है 1 किसान उत्पादक व्यापार और वाणिज्य और सुविधा अधिनियम 2 किसान सशक्तिकरण और संरक्षण समझौता मूल्य आश्वासन और कार्य सेवा अधिनियम 2020 3 आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम 2020 इस विधेयक के अनुसार किसान अपनी फसल को ए.पी.एम. सी. मंडी के लाइसेंसधारी व्यापारी के जरिये बेचने के लिए बाध्य नहीं है, और साथ ही वे किसी भी कंपनी सु स्पॉन्सर, बिचौलिये के साथ किसी भी उत्पाद के लिए सीधे करार कर सकते है, इसके तहत् उत्पादन शुरू होने से पहले ही उत्पाद की तय मात्रा, तय गुणवत्ता व किस्म तथा तय कीमतों के आधार पर किसान और किसी भी निजी स्पांसर, कम्पनी आदि के बीच करार होगा , इस करारनामों की अधिक्तम अवधि उन सभी उत्पादों के मामले मे 5 वर्ष होगी, जिनके उत्पादन में 5 वर्ष से अधिक समय नाही लगता है, इसके जरिये अनिवार्य वस्तुओ के स्टॉक पर राखी गईं अधिकत्तम सीमा को भी हटा दिया गया है, यदि अब तमाम् अनिवार्य वस्तुओ की जमाखोरी पर किसी प्रकार की रोक नही होगी। कान्टेक्ट खेती कानून के अनुसार किसान व कम्पनी के बीच कान्टेक्ट की नई व्यवस्था शुरू होगी जब फसल की कीमत बाजार में कम होगी, तब कम्पनी खरीदेगी, और फसल की कीमत ज्यादा होगी तब कानून दांवचेंच लगाकर कम्पनी कृषि उत्पाद खरीदनें से मुकर जायेगी, किसान कम्पनी के बंधक बन जायेंगे। तीसरा विधेयक मूल रूप से आवश्यक वस्तु अधिनियम-1955 है, जिसके तहत् सरकार जनता व जीवन के लिए आवश्यक वस्तुओ जैसे :-चावल, दाल, आलू-प्याज, तेल, शक्कर, मिट्टी तेल व अन्य जीवनपयोगी वस्तुओं को अपनी नियंत्रण में रखती थी, जिससे इन आवश्यक वस्तुओं का संतुलित बना रहे, इसलिए भंडारण की सीमा सरकार तय करती थी । यह विधेयक सीधे तौर पर आवश्यक वस्तु कानून में परिवर्तन करते हुए जमाखोरी और कालाबाजारी को बढ़ानें की छूट देता है, क्योंकि ये कई आवश्यक वस्तुओ की भंडारण पर सीमा को युद्ध जैसे आपात स्थितियों के अतिरिक्त स्माप्त कर देता है । इस तीसरे नये विधेयक में संशाधन कर असिमित भंण्डारण की व्यवस्था कर दी गयी है, जो बड़े पूंँजीपतियों और व्यापारियों के पक्ष में जाता है, यह कानून सीधे तौर पर मेहनतकश जनता के विरुद्ध जाता है, जो कि सीधे-सीधे आम मेहनतकश जनता को प्रभावित करता है, और उसके वर्ग हितों को नुकसान पहुँचाता है, और जिसका विरोध किये जानें की सख्त जरूरत है, यह विधेयकों का नाता सार्वजनिक खाद्य् वितरण प्रणाली से है, सरकार इस प्रणाली की जिम्मेदारी से पिण्ड छुड़ा ले, और राज्य सरकार पर यह जिम्मेदारी थोपनें की वकालत कर रही हैं, जाहिर है, कि इस प्रस्ताव का अर्थ ही यह ही है, कि सार्वजनिक खाद्य् वितरण प्रणली को पूर्ण रूप से स्माप्त कर दिया जाए जो कि व्यापक आबादी की खाद्य सुरक्षा को समाप्त कर देगी, इसलिए समूचे मजदूर वर्ग, तथा गरीब व निन्म मध्यम वर्गीय किसान की यह मांग बनती है, कि सार्वजनिक खाद्य् वितरण प्रणली को सुचारू रूप से बहाल किया जाये। तीनों विधेयक की जानकारी देश के किसानों के पास पहुंचने के बाद 26 नवंबर 2020 को पंजाब हरियाणा राजस्थान उत्तर प्रदेश शहीद देश के समस्त किसान संगठनों द्वारा तीनों कृषि कानून को वापस लेने के लिए दिल्ली कूच किया गया लेकिन दिल्ली पुलिस द्वारा दिल्ली में किसानों को घुसने से रोका गया तब किसानों द्वारा दिल्ली के अनेक बॉर्डर पर धरना शुरू किया गया 26 मई को दिल्ली बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन कर रहे किसानों का आंदोलन 6 माह पूर्ण होने जा रहा है इस अवसर पर बालोद किसान संघ एवं छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा द्वारा भारत के किसान संगठनों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर 26 मई 2021 के दिन राष्ट्रव्यापी काला दिवस में अपनी हिस्सेदारी निभाएंगे बालोद जिले के समस्त किसान भाइयों से अनुरोध है कि 26 मई दिन बुधवार को राष्ट्रव्यापी काला दिवस में अपने अपने गांव में काला झंडा लगाकर कोविड-19 का पालन करते हुए आंदोलन में भाग लेंगे.

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