गरियाबंद – जिले के वनांचल क्षेत्र में तेजी से शुरू हुआ तेंदू पत्ता संरक्षण का कार्य , लॉकडाउन में बेरोजगारों को मिला रोजगार….
गरियाबंद – जिले के वनांचल क्षेत्र में तेजी से शुरू हुआ तेंदू पत्ता संरक्षण का कार्य , लॉकडाउन में बेरोजगारों को मिला रोजगार….
संवाददाता कृष्ण कुमार त्रिपाठी
अमलीपद/गरियाबंद :- जिले के जंगली क्षेत्र में गर्मी का महीना शुरू होते ही जंगली क्षेत्र के आदिवासी परिवार द्वारा तेंदू पत्ता संरक्षण का कार्य तीव्र गति से शुरू हो गया है , खासकर वनांचल में यह कार्य ज्यादा होता है , जिससे यहां के रहवासियों को फायदा मिलता हैं , वहीं इस बार कोरोना महामारी बीमारी के कारण सभी आवश्यक नियम एवं सरते को मद्दे नजर रखते हुए तेंदू पत्ता संरक्षण का कार्य कर रहे है , जिसके चलते इस कार्य में लगे लोगों द्वारा मास्क पहनकर एवं साबुन व सेनेटाइजर से बार – बार हाथ धोने संबंधित कार्य किए जा रहे हैं ।
छत्तीसगढ़ राज्य में तेंदूपत्ता को हरा सोना माना जाता है , सरकार के इस महत्वाकांक्षी योजना से संग्राहकों को कई तरह के लाभ मिलते हैं , आपको बता दें की राज्य के कई जिलों में जैसे ही लॉकडाउन चालू हुआ , कई लोग रोजगार के लिए तरस रहे थे , अब तेंदू पत्ता संरक्षण का कार्य जैसे ही शुरू हुआ , क्षेत्र के बेरोजगार लोगों को रोजगार मिल गयी ।
तेंदू पत्ते तोड़ने में महिलाएं भी बढ़चढ़ कर पत्ते तोड़ने का कार्य करती हैं , यह कार्य सुबह 4 बजे से दोपहर 12 एक बजे के आसपास तक चलता है , क्योंकि क्षेत्र में बढोतरी तापमान को देखते हुए लोग सुबह ही जंगल की ओर भूखे – प्यासे तेंदू पत्ता संरक्षण के लिये निकल पड़ते है , और दोपहर तक घर की ओर परिस्तान करते है ।
क्षेत्र वासियों का कहना है , कि तेंदूपत्ता की तोड़ाई से प्रत्येक मजदूर को प्रतिवर्ष 5 से 6 हजार रुपये तक का कमाई हो जाता है ।
वही क्षेत्र के मुंशियों से व तेंदू पत्ता तोड़ने वाले मजदूरों से मिली जानकारी के अनुसार एक गड्डी के रूप में तेंदू पत्ते को तैयार किया जाता है , जिसमें 25 – 25 करके उल्टा – पुल्टा बांधा जाता है , टोटल 50 की गड्डी बनाई जाती है , और 100 गड्डियों का 490 रुपये बनता है ।