अमलिपदर क्षेत्र बिरीघाट पौधारोपण में करोड़ो रूपये का प्रोजेक्ट सिर्फ कागजों में, जिम्मेदार है कौन प्रशासन है मौन…
अमलिपदर क्षेत्र बिरीघाट पौधारोपण में करोड़ो रूपये का प्रोजेक्ट सिर्फ कागजों में, जिम्मेदार है कौन प्रशासन है मौन 📡 संवाददाता सत्यांश कुमार निषाद गरियाबंद जिला
गरियाबंद के आदिवासी विकासखंड मैनपुर अंतर्गत ग्राम बीरीघाट के मामले है खबर अनुसार बीरीघाट ग्राम पंचायत में सरकार द्वारा पौधारोपण हेतु राशि जारी किया गया था जिसमे धांधली के मामले सबको हैरान में डाल दिया है जैसे कि ख़बर आ रहा है ये करोड़ो का मामला है पिछले तीन साल में 20 हजार पौधे लगाने हेतु एक करोड़ 21 लाख रुपए की राशि का आवंटन हुआ था पर यहाँ भी सरकार के योजना के पैसों के साथ छेड़छाड़ करने की बात सामने आ रहा है कुछ लोगों के द्वारा पौधे रोपण के पैसों का मनमानी करके इस योजना का बंटाधार कर दिया गया। सूत्रों ने बताया कि पूरे घोटाले में एक नहीं बल्कि पूरे 80 लाख रुपये तो फर्जी बिल लगाया गया है जिससे कि अधिकारियों के मिलीभगत और सांठगांठ की बात नजर आती है और तो और मौके पर कोई बोर्ड तक नजर नही आती है। जो अपने आप मे बड़ा सवाल खड़े करते हैं जानकारों की माने तो पूरे प्रोजेक्ट में 20 हजार पौधे 3 सालों में लगाए जाने थे परंतु अधिकारियों की मिलीभगत से मौके पर शिवाय ठूंठों के कुछ भी नजर नहीं आता है। वर्तमान सरपंच ने संवाददाता को बताया कि पिछले साल 3000 पौधे आए तो थे और यहां लगाए गए वह भी सिर्फ कागजी खानापूर्ति थी। कुछ लोगों का कहना है कि यह मुद्दा विधानसभा में भी उठाया गया पर आज तक इसकी कोई जांच नही हुई। जिससे जिम्मेदार लोगो के मनोबल ओर भी मजबूत होता दिखाई दे रहा है बता दें कि पौधे लगाने के बाद ना कोई देखने आया ना ही समुचित व्यवस्था की गई। सिंचाई के नाम पर सोलर पंप तो लगाया गया पर सोलर पंप की चाबी भी जिम्मेदार यहां से ले जाकर अपने घर में रख देते हैं। इतना ही नहीं मामले की शिकायत भी कई बार हुई है परंतु जिम्मेदारों के कानों में इसकी जू तक नहीं रेंगी। आखिरकार सरकार के पैसों का किस तरह बंदरबांट किया जा रहा है इसका उदाहरण बीरीघाट पंचायत में साफ-साफ देखा जा सकता है। तत्कालीन सचिव ने पूरे पैसे का आहरण किया एवं मौके पर सिर्फ 3000 पौधों का रोपण कर पल्ला झाड़ लिया। कार्यवाही के नाम पर ना ही किसी के ऊपर एफ आई आर दर्ज हुई नाही कोई नोटिस जारी किया गया आज भी इस मामले के कर्ताधर्ता मजे से नौकरी कर रहे हैं और क्षेत्र में आम जनता की गाढ़ी कमाई को चुना लगा रहे हैं। भूपेश सरकार में ऐसे लोग टाट पर पैबंद नजर आते हैं। फिल्हाल देखते हैं की इस मामले पर क्या कार्यवाही की जाती है। ग्राम बिरीघाट की ये मुद्दा दिनों दिन विवादों पर घिरता हुआ नजर आ रहा है सरकार ने जब करोड़ो का राशि जारी किया तो उस काम जमीनी स्तर पर वाकई में किया या नही उसकी भी जांच सरकारी तौर पर करनी चाहिए जबकि एक दो लाख के आवास योजना पर न जाने कितने बार निरीक्षण किया जाता है कई फोटो खींचे जाते है कभी कभी तो लाभार्थियों इससे तंग आ जाते है जरूरत है इसकी जांच की और सम्बन्धित जिम्मेदार लोगों के ऊपर कार्यवाही करने की📡 संवाददाता सत्यांश कुमार निषाद गरियाबंद
जिला गरियाबंद के आदिवासी विकासखंड मैनपुर अंतर्गत ग्राम बीरीघाट के मामले है खबर अनुसार बीरीघाट ग्राम पंचायत में सरकार द्वारा पौधारोपण हेतु राशि जारी किया गया था जिसमे धांधली के मामले सबको हैरान में डाल दिया है जैसे कि ख़बर आ रहा है ये करोड़ो का मामला है पिछले तीन साल में 20 हजार पौधे लगाने हेतु एक करोड़ 21 लाख रुपए की राशि का आवंटन हुआ था पर यहाँ भी सरकार के योजना के पैसों के साथ छेड़छाड़ करने की बात सामने आ रहा है कुछ लोगों के द्वारा पौधे रोपण के पैसों का मनमानी करके इस योजना का बंटाधार कर दिया गया। सूत्रों ने बताया कि पूरे घोटाले में एक नहीं बल्कि पूरे 80 लाख रुपये तो फर्जी बिल लगाया गया है जिससे कि अधिकारियों के मिलीभगत और सांठगांठ की बात नजर आती है और तो और मौके पर कोई बोर्ड तक नजर नही आती है। जो अपने आप मे बड़ा सवाल खड़े करते हैं
जानकारों की माने तो पूरे प्रोजेक्ट में 20 हजार पौधे 3 सालों में लगाए जाने थे परंतु अधिकारियों की मिलीभगत से मौके पर शिवाय ठूंठों के कुछ भी नजर नहीं आता है। वर्तमान सरपंच ने संवाददाता को बताया कि पिछले साल 3000 पौधे आए तो थे और यहां लगाए गए वह भी सिर्फ कागजी खानापूर्ति थी। कुछ लोगों का कहना है कि यह मुद्दा विधानसभा में भी उठाया गया पर आज तक इसकी कोई जांच नही हुई। जिससे जिम्मेदार लोगो के मनोबल ओर भी मजबूत होता दिखाई दे रहा है
बता दें कि पौधे लगाने के बाद ना कोई देखने आया ना ही समुचित व्यवस्था की गई। सिंचाई के नाम पर सोलर पंप तो लगाया गया पर सोलर पंप की चाबी भी जिम्मेदार यहां से ले जाकर अपने घर में रख देते हैं। इतना ही नहीं मामले की शिकायत भी कई बार हुई है परंतु जिम्मेदारों के कानों में इसकी जू तक नहीं रेंगी। आखिरकार सरकार के पैसों का किस तरह बंदरबांट किया जा रहा है इसका उदाहरण बीरीघाट पंचायत में साफ-साफ देखा जा सकता है। तत्कालीन सचिव ने पूरे पैसे का आहरण किया एवं मौके पर सिर्फ 3000 पौधों का रोपण कर पल्ला झाड़ लिया।
कार्यवाही के नाम पर ना ही किसी के ऊपर एफ आई आर दर्ज हुई नाही कोई नोटिस जारी किया गया आज भी इस मामले के कर्ताधर्ता मजे से नौकरी कर रहे हैं और क्षेत्र में आम जनता की गाढ़ी कमाई को चुना लगा रहे हैं। भूपेश सरकार में ऐसे लोग टाट पर पैबंद नजर आते हैं। फिल्हाल देखते हैं की इस मामले पर क्या कार्यवाही की जाती है। ग्राम बिरीघाट की ये मुद्दा दिनों दिन विवादों पर घिरता हुआ नजर आ रहा है सरकार ने जब करोड़ो का राशि जारी किया तो उस काम जमीनी स्तर पर वाकई में किया या नही उसकी भी जांच सरकारी तौर पर करनी चाहिए जबकि एक दो लाख के आवास योजना पर न जाने कितने बार निरीक्षण किया जाता है कई फोटो खींचे जाते है कभी कभी तो लाभार्थियों इससे तंग आ जाते है जरूरत है इसकी जांच की और सम्बन्धित जिम्मेदार लोगों के ऊपर कार्यवाही करने की