गरियाबंद कमार जनजाति के दो महिलाओं की मौत प्रशासन द्वारा एक को इंसाफ और दूसरे को नाइंसाफी आखिर क्यों..
📡 संवाददाता सत्यांश कुमार निषाद गरियाबंद
जिले में विशेष पिछड़ी कमार जनजाति के दो महिलाओं की प्रसूति के दौरान मृत्यु हो गयी जिसमें एक छुरा ब्लॉक के खरखरा(धरमपुर) निवासी देवकी बाई और एक महिला कुल्हाड़ीघाट की बल्दीबाई की नाती बहु की मौत हुई थी। जिसमें प्रशासन द्वारा छुरा ब्लॉक के प्रसूता की कोई आर्थिक मदद नही की वहीं रेडक्रॉस सोसायटी के मदद सें कुल्हाड़ी घाट की महिला के परिजनों क़ो 50हजार की आर्थिक सहायता देकर मदद की गई।समान घटना मे एक जनजाति परिवार का सहायता करना और एक की खबर भी नही लेना प्रशासनिक लचर व्यवस्था को दर्शाता है।
उक्त आरोप कमार विकास अभिकरण के सदस्य पीलेश्वर सोरी ने लगाया है और इस तरह भेदभावपूर्ण नजरिए पर रोक लगाने की मांग करते हुए खरखरा ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम धरमपुर के पीड़ित कमार परिवार क़ो भी सरकारी मदद मुहैया कराने की मांग जिला प्रशासन सें की है।
उल्लेखनीय है कि छुरा विकास खंड के ग्राम पंचायत खरखरा के आश्रित ग्राम धरमपुर निवासी शंकर लाल कमार की धर्मपत्नी देवकी बाई गर्भवती थी 18 जनवरी को रात में पेट में अचानक दर्द होने पर उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र छुरा ले जाया गया जहां गर्भवती महिला को कुछ दवाई व इंजेक्शन देकर डाक्टरों द्वारा महासमुंद के लिए रिफर कर दिया। महासमुंद सरकारी अस्पताल के डाक्टरों ने बिना कुछ किये रायपुर पंडरी स्थित जिला अस्पताल ले जाने को कहा तब गर्भवती महिला को रायपुर स्थित जिला अस्पताल पंडरी में भर्ती कराया गया । जहां 19 जनवरी को देवकी बाई कमार ने स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया लेकिन बच्चे को जन्म देने के 4 दिन बाद 22 जनवरी की रात करीब 1 बजे देवकी बाई कमार की मृत्यु राजधानी के पंडरी स्थित जिला अस्पताल में हो गई।
मृत्यु पश्चात अस्पताल प्रबंधन द्वारा रात में ही 102 शव वाहन से देवकी बाई के शव को उनके गृह ग्राम छुरा ब्लाक के धरमपुर के लिए रवाना कर दिया गया। वहीं विशेष पिछड़ी जनजाति के शंकर लाल कमार ने
सर्वोच्च न्यूज़ छत्तीसगढ़ संवाददाता को बताया कि उनकी पत्नी के इलाज के दौरान उन्हें खून की कमी के चलते खून की जरूरत पड़ने पर खून के लिए 1050 रुपये दिया। साथ ही उनकी मृतक पत्नी के शव लाने वाले 102 वाहन चालक को 600 सौ रुपये देना बताया जा रहा है। शंकर लाल कमार ने आगे बताया कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा उनकी पत्नी और बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र 21 दिन बीत जाने के बाद भी नही दिया गया है 22 जनवरी को उनकी पत्नी की मौत राजधानी रायपुर पंडरी स्थित सरकारी अस्पताल में हो गई थी उनकी पत्नी की मृत्यु प्रमाण पत्र और अपने बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र के लिए 12 फरवरी को वे राजधानी पंडरी स्थित जिला अस्पताल गए लेकिन उनको प्रमाण पत्र के लिए दूसरे दिन बुलाया गया। यहां यह बताना लाजमी है कि शंकर लाल कमार अति पिछड़ी कमार जनजाति से है और उनकी आर्थिक स्थिति भी ठीक नही है मेहनत मजदूरी करके वे अपना और परिवार का भरण पोषण करते हैं और उनके निवास ग्राम से राजधानी की दूरी लगभग 90 किलोमीटर है और बार – बार जाना संभव नही है रायपुर में कोई जान पहचान नही होने के कारण वहां रुकना भी सम्भव नही है इसलिए उन्हें बिना जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र लिए ही वापस घर लौटना पड़ा।इस घटना की जानकारी जब नगर के एक समाज सेवक मनोज पटेल को मिला तब वे धरमपुर स्थित पीड़ित कमार परिवार की सुध ली साथ ही बच्चे के लिए दुधपावडर कुछ कपड़े देते हुए बच्चे के बालिग होते तक भरण पोषण की जिम्मेदारी लेते हुए बच्चे के मुफ्त इलाज के लिए नगर स्थित लक्ष्मी नारायण हॉस्पिटल से कार्ड भी जारी करवाया गया। मगर इस पूरे घटना में जिला प्रशासन द्वारा पीड़ित कमार परिवार का किसी भी तरह सुध न लेने को लेकर कमार विकास अभिकरण सदस्य पिलेश्वर नेताम ने इसे कमारों के बीच भेदभाव पूर्ण व्यवहार बताते हुए धरमपुर निवासी पीड़ित कमार परिवार को भी आर्थिक मदद देने की मांग प्रशासन से की है।