सरकार की लच्चर स्वास्थ्य व्यवस्था के आगे कांग्रेस की पोस्टर लेडी बल्दीबाई के परिजनों को झेलना पड़ा दंश,जिसके लिए छग. सरकार और प्रशासन जिम्मेदार-प्रीतम सिंहा

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सरकार दोषियों पर कार्यवाही करने के बजाए पीड़िता के परिवार को राशि वापसी कर अपने लापरवाही पर पर्दा डालने में लगा हुआ हैं

📡 ब्यूरो रिपोर्ट विक्रम कुमार नागेश गरियाबंद

-भाजपा नेता प्रीतम सिन्हा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कांग्रेस सरकार व प्रशासन को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि कांग्रेस की पोस्टरलेडी बल्दीबाई के परिजनों के साथ हुए अमानवीय कृत्य के लिए सरकार की लच्चर स्वास्थ्य व्यवस्था और प्रशासन कि लापरवाही को इसका जिम्मेदार ठहराया हैं,जिसके चलते बल्दी बाई के परिजनों को यह दंश झेलना पड़ रहा हैं,सरकार और प्रशासन अपनी नाकामी को छुपाने के लिए दोषियों के ऊपर त्वरित कार्यवाही करने के बजाए पीड़ित को राशि देकर इस अमानवीय कृत्य पर पर्दा डाला जा रहा हैं।आगे उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व.राजीव गांधी के द्वारा मैनपुर ब्लॉक के कुल्हाड़ीघाट के श्रीमती बल्दीबाई को सम्मानित किया गया था वही आज छत्तीसगढ़ सरकार के लचर स्वास्थ्य सुविधा और लापरवाही के चलते अपमानित और पीड़ित महशूस कर रही है।कुल्हाड़ीघाट की बल्दीबाई के गर्भवती नाती बहु और बच्चे की मौत से सरकार और प्रशासन जिम्मेदार हैं। जिस प्रकार लापरवाही और अमानवीय कृत सामने आया है,सरकार की स्वास्थ्य योजनाएं कितनी सही हैं और जरूरतमंदों को इनका कितना फायदा मिल रहा है, इस पर एक बार फिर सवालिया निशान खड़ा हो गया है। रायपुर जिले के एक निजी अस्पताल में महिला और उसके बच्चे की प्रसव के दौरान मौत हो गयी। परिजनों को कर्ज लेकर अस्पताल का बिल चुकाना पड़ा। पीड़ित परिजनों का आरोप है सरकारी योजनाओं का लाभ नही मिल पाया,जिसके कारण शव लेने के लिए उन्हें घंटो इंतेजार करना पड़ा, वही अस्पताल प्रबंधन ने भी इस मामले में खुद को बेबस और लाचार बताया है।
दरअसल गरियाबंद जिले में कांग्रेस की पोस्टर लेडी के नाम से मशहूर कुल्हाड़ीघाट निवासी बल्दीबाई की बहू और बच्चे की प्रसव के दौरान कुछ दिन पूर्व अभनपुर के एक निजी अस्पताल में मौत हो गयी। परिजनों के मुताबिक स्वास्थ्य योजना का लाभ लेने के लिए उन्होंने अस्पताल में राशनकार्ड जैसे जरूरी दस्तावेज जमा किए थे, मगर उसके बाद भी उन्हें आयुष्मान योजना का लाभ नहीं मिल पाया। परिजनों को तकरीबन 12 घण्टे लाश के साथ अस्पताल में गुजारने पड़े। अगले दिन उन्हें दोपहर 12 बजे परिजनो ने कर्ज लेकर अस्पताल के रकम का इंतजाम किया और इलाज का बिल जमा कराया। तब कहीं जाकर परिजन शव लेकर अपने घर के लिए रवाना हुए। निजी अस्पताल के डॉक्टर ने भी स्वीकार किया कि पीड़ित परिवार को आयुष्मान योजना का लाभ नहीं मिल पाया। इस घटना से सरकार के स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोलने के लिए काफी है। सरकार मामले की गंभीरता को देखते हुए शासकीय अस्पताल और नीजि अस्पताल के द्वारा की गई लापरवाही और अमानवीय कृत पर ठोस कार्यवाही करने के बजाए, नीजि अस्पताल से लिए गए बिल वापसी कराने में लग हुई हैं और इस अमानवीय कृत्य पर पर्दा डालकर खुद को साफ-पाक करने में लगी हैं। इस कृत्य से सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था असफल होते और प्रशासन की घोर लापरवाही की पोल खुल गई हैं।

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