58 हजार 434 मानक बोरा का संग्रहण किया गया,तेन्दूपत्ता संग्रहण में गरियाबंद जिला राज्य में द्वितीय स्थान पर,60 हजार 712 तेन्दूपत्ता संग्राहक परिवारों को 23 करोड़ रूपये का भुगतान- इतेश सोनी गरियाबंद
इतेश सोनी गरियाबंद। गरियाबंद वन परिसर स्थित नीलाम हॉल में आज बुधवार को जिला वनोपज सहकारी संघ मर्यादित, गरियाबंद के वित्तीय वर्ष 2020-21 की वार्षिक साधारण आमसभा आयोजित को गई। कार्यक्रम जिला वनोपज सहकारी संघ मर्यादित गरियाबंद के अध्यक्ष श्री भागीरथी मांझी ने अध्यक्षता की एवं कलेक्टर श्री नीलेश क्षीरसागर विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे। आमसभा में प्रबंध संचालक एवं वनमंडलाधिकारी श्री मयंक अग्रवाल, उप प्रबंध संचालक श्री अरुण तिवारी, उप वनमंडलाधिकारी गरियाबंद श्री मनोज चंद्राकर तथा जिला यूनियन के संचालक सदस्य एवं प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए । आम सभा का आरंभ छत्तीसगढ़ प्रदेश के राज्य गीत के साथ किया गया ।
आमसभा के प्रांरभ में प्रबंध संचालक श्री मयंक अग्रवाल द्वारा जिला वनोपज सहकारी संघ मर्यादित गरियाबंद का वर्ष 2020-21 का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया । उन्होंने बताया कि जिला यूनियन गरियाबंद का गठन दिनांक 22-07-2013 को उदंती वनमंडल एवं पूर्व रायपुर वनमंडल के अंतर्गत आने वाली प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों को सम्मिलित कर किया गया है। इस संस्था में 70 प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों सदस्य हैं जिनकी कुल अंशपूंजी 7100 रूपये है। उन्होंने बताया कि कोरोना वैश्विक महामारी संक्रमण के समय लॉक डाउन के कारण जहाँ सभी आधिक गतिविधियां शिथिल हो गई अथवा बंद होने के कारण रोजगार की समस्या उत्पन्न हो गई थी। इन विषम परिस्थियों में तेन्दूपत्ता सीजन 2020 में गरियाबंद वनमंडल अंतर्गत संग्रहण लक्ष्य 84 हजार 300 के विरुद्ध तेन्दूपत्ता संग्राहकों के द्वारा कुल 58 हजार 434 मानक बोरा का संग्रहण किया गया जो लक्ष्य का लगभग 70 प्रतिशत है। तेन्दूपत्ता संग्रहण में गरियाबंद जिला छत्तीसगढ़ राज्य में द्वितीय स्थान पर रहते हुए कुल 60712 तेन्दूपत्ता संग्राहकों परिवारों को 4000 रूपये प्रति मानक बोरा की दर से कुल 23.37 करोड़ रूपये संग्रहण पारिश्रमिक की राशि का भुगतान किया गया । इसके अतिरिक्त शासन की महत्वाकांक्षी वनधन योजना के अंतर्गत न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लगभग 150 महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से इमली, नागरमोथा, हर्रा, बहेड़ा, शहद, सालबीज आदि लघु वनोपज का क्रय 10103 संग्राहको से कर उन्हें 4.50 करोड़ रूपये का भुगतान किया गया है। जिससे संग्राहकों के साथ-साथ महिला स्व सहायता समूहों को भी रोजगार प्रात हुआ है। तेन्दूपत्ता संग्राहक परिवारों के प्रतिभाशाली बच्चों को शिक्षा प्रोत्साहन अंतर्गत कुल 784 छात्र छात्राओं को वर्ष 2019-20 में विभिन्न योजनाओं के तहत 54,29,500 रूपये एवं 2020 में कुल 377 छात्र-छात्राओं को राशि 33,60,000 रूपये छात्रवृत्ति/पुरस्कार के रूप में वितरित किया गया है। तेन्दूपत्ता सीजन 2018 में लाभ में रही कुल 60 प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के कुल 54 हजार 780 संग्राहको को 18.89 करोड़ रूपये तेन्दूपत्ता बोनस का भुगतान नेफ्ट के माध्यम से सीधे संग्राहकों के खाते में किया गया है। इस प्रकार जिले के वनवासियों को कोरोना संक्रमण दौरान लॉक डाउन में कुल 47.30 करोड़ रूपये का भुगतान किया गया है।
वनधन योजना अंतर्गत जिले के मैनपुर में माहुलपत्ता प्रसंस्करण केन्द्र की स्थापना की गई है तथा गरियाबंद के ग्राम केशोडार में वनौषधि प्रसंस्करण केन्द्र में 13 वनौषधि का निर्माण कार्य किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त देवभोग क्षेत्र में लाख का उत्पादन बहुतायत में होने के कारण लाख प्रसंस्करण केन्द्र की स्थापना की जा रही है। तैलीय बीज प्रसंस्करण कार्य हेतु वनधन केन्द्र की स्थापना छुरा में की जा रही है। वर्ष 2020-21 में वनमंडल द्वारा वनधन योजना अंतर्गत न्यूनतम समर्थन मूल्य में 38 प्रकार के लघु वनोपज संग्रहण हेतु कुल 34245 क्विंटल का लक्ष्य रखा गया है जिससे संग्राहकों को 15.32 करोड़ रूपये का भुगतान प्रस्तावित है। संचालक सदस्य श्री नीलकंठ ठाकुर, देवी सिंह रात्रे, श्री हलमन धुर्वा, श्री अमृत नागेश, श्री श्यामलाल सोरी उपाध्यक्ष द्वारा अपने विचार व्यक्त किये गये । जिला वनोपज सहकारी संघ मर्यादित गरियाबंद के अध्यक्ष श्री भागीरथी माँझी द्वारा अपने उद्बोधन में उल्लेखित किया गया कि यह वर्तमान कार्यकारिणी की अंतिम आमसभा है उन्होंने विगत 5 वर्षों के उनके कार्यकाल में सभी कार्यकारिणी के सदस्यों तथा जिला यूनियन के अधिकारी कर्मचारियों को उनके सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया गया।
कलेक्टर श्री नीलेश क्षीरसागर द्वारा अपने उद्बोधन में गरियाबंद जिले के विपुल वन संपदा पर विचार व्यक्त करते हुए लघु वनोपज के प्रसंस्करण तथा मूल्यवर्धन की गतिविधियों को बढ़ावा देकर जिले के वनांचलों में निवास करने वाले आदिवासी समुदाय की सामाजिक आर्थिक उन्नति पर जोर दिया। उन्होंने उदाहरण स्वरूप बताया कि कैसे हमारे यहां पैदा होने वाले सालबीज का प्रसंस्करण कर बेल्जियम में चॉकलेट बनाकर बड़ा आर्थिक लाभ अर्जित किया जाता है। उसी तरह यहाँ भी इमली, सालबीज, लाख इत्यादि लघु वनोपजों का प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन कर आर्थिक लाभ कमाया जा सकता है। आमसभा के अंत में श्री अरुण तिवारी उप प्रबंध संचालक द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम का संचालन श्री मनोज चंद्रकार उप वनमंडलाधिकारी गरियाबंद द्वारा किया गया।