काले कृषि कानून की प्रति जलाकर किसानों ने किया विरोध मनुस्मृति को फाड़कर संविधान को बचाने की ली शपथ – इतेश सोनी ब्यूरो छत्तीसगढ़
इतेश सोनी मैनपुर। किसान विरोधी तीन काले कानूनों के खिलाफ मैनपुर क्षेत्र के किसानों ने गुरुवार को कृषि कानून की प्रति को जलाकर जमकर विरोध किया। अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा, आदिवासी भारत महासभा, क्रांतिकारी नौजवान भारत सभा और अखिल भारतीय क्रांतिकारी विद्यार्थी संगठन ने संयुक्त रूप से तीन काले कृषि कानून की प्रति जलाकर केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ आक्रोश जताया। साथ ही मनुस्मृति को फाड़कर संविधान और देश बचाने की शपथ ली। इस दौरान काले कानून के खिलाफ पोस्टर प्रदर्शन भी किया गया।
बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने मोदी की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। सभा को सम्बोधित करते हुए आदिवासी भारत महासभा के प्रदेश अध्यक्ष कामरेड भोजलाल नेताम ने कहा कि आज किसानों, मजदूरों और आदिवासियों पर शोषण और अत्याचार हो रहे हैं। केंद्र में बैठी फासीवादी बीजेपी की सरकार लगातार किसान विरोधी, मजदूर विरोधी, आदिवासी विरोधी और जन विरोधी कानून बना रही है। साथ ही संविधान को खत्म करने की साजिश चल रही है। संविधान को नष्ट कर मनुस्मृति को लागू किया जा रहा है। केंद्र और राज्य की सरकार लगातार आदिवासियों का हिंदूकरण कर रही है। आदिवासी भाइयों को अपने जल, जंगल, जमीन, संस्कृति और पहचान को बचाने के लिए जागरूक होना होगा। साथ ही अपने आस-पास के लोगों को भी जागरूक करने की जरूरत है।
अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के प्रदेश सचिव कामरेड तेजराम विद्रोही ने काले कानून के बारे में किसानों को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानून किसानों को पूरी तरह से पूंजीपतियों के गुलाम बना देगा। किसानों को उनकी जमीन से बेदखल कर कारपोरेट के हाथों में सौपने की योजना चल रही है। मंडी व्यवस्था और समर्थन मूल्य पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। किसानों को बड़ी-बड़ी कम्पनियों के हिसाब से कार्य करना पड़ेगा। कम्पनी के साथ करार करना होगा। इस प्रकार किसान अपनी ही जमीन पर मजदूर बन कर रह जाएगा। वहीं जिसे एक समय जमाखोरी कहा जाता था अब इस कानून के माध्यम से कम्पनियों को जमाखोरी करने की पूरी तरह से छूट मिल जाएगी। पूंजीपति अपने हिसाब से अति आवश्यक चीजों को व्यापक रूप से संग्रह करके रखेंगे, जिससे महंगाई बढ़ेगी। यह कानून सिर्फ किसानों को प्रभावित नहीं करते हैं बल्कि आम उपभोक्ता की जेब भी कटेगी। अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष कामरेड मदन लाल ने कहा कि दिल्ली में देश भर के किसान काले कानून को वापस लेने की मांग को लेकर भारी ठंड में डटे हुए हैं, लेकिन केंद्र में बैठी बेशर्म सरकार को किसानों की कोई परवाह नहीं। 35 से भी ज्यादा किसान शहीद हो गए, लेकिन बीजेपी सरकार लगातार किसानों की उपेक्षा कर रही है। उन्होंने किसानों से अपील की हैं कि गांव-गांव में किसान आंदोलन के समर्थन में प्रदर्शन करें। आदिवासी भारत महासभा के संयोजक कामरेड सौरा ने कहा कि बीजेपी की सरकार आरएसएस के अजेंडे को लेकर काम कर रही है। लगातर संविधान में बदलाव कर मनुस्मृति को लागू करने की कोशिश हो रही है। एनआरसी, सीएए और एनपीआर ला कर यहां के मुसलमानों और आदिवासियों को नागरिकता से वंचित करने की तैयारी है। वहीं राज्य में भूपेश बघेल की सरकार केंद्र की भांति हिंदुत्व के एजेंडे पर कार्य कर रही है। केंद्र की मोदी सरकार राम मन्दिर का उदघाटन करती है, तो राज्य की कांग्रेस सरकार जश्न मनाती है। कौशिल्या मंदिर और राम पथ गमन की भारी भरकम योजना लाकर आदिवासियों की पहचान को रौंदने का काम कर रही है। कार्यक्रम में क्रांतिकारी नौजवान भारत सभा के गनपत लाल ने कहा कि भेदभाव, जातिवाद और पुरुष प्रधान समाज को स्थापित करने वाली मनुस्मृति को डा. भीमराव अंबेडकर ने 25 दिसम्बर 1927 को जलाई। उन्होंने मनुवादी के खिलाफ जोरदार आंदोलन चलाया। आज फिर से अपनी संस्कृति को लेकर जागरूक होने की जरूरत है। अखिल भारतीय क्रांतिकारी विद्यार्थी संगठन के संयोजक टिकेश कुमार ने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 लाकर सरकार शिक्षा को तहस-नहस करने में लगी है। शिक्षा का लगातार भगवाकरण किया जा रहा है। सरकारी स्कूल को बंद कर निजी स्कूलों को जोर-शोर से संचालित किए जा रहे हैं। इस अवसर पर परमेश्वर, भीमसेन, पदुमलाल, महादेव, कृष्णा, युवराज, अभिराम और बड़ी संख्या में क्षेत्र के किसान और आदिवासी उपस्थित रहे।
भवदीय
कामरेड भोजलाल नेताम
अध्यक्ष आदिवासी भारत महासभा छत्तीसगढ़