राष्ट्रीय

पंजाब में SC के फैसले का भी असर नहीं, खूब जल रही पराली; एक ही दिन में 2000 मामले

नई दिल्ली चंडीगढ़ पराली जलने पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल रोक लगाने का आदेश दिया था। लेकिन इसका असर पंजाब...

विदेशियों का हमारी रसोई पर कब्जा, यह स्वास्थ्य लिए घातक : डॉ. मुरली मनोहर जोशी

नई दिल्ली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री डाॅ. मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि...

अग्निवीरों की भर्ती के लिए सेना ने बदली नीति, रेगुलर सैनिक से कड़े थे पैमाने

नईदिल्ली  अग्निपथ स्कीम के तहत भारतीय सेना ने जब अग्निवीरों की भर्ती की, तो उनके आकलन का क्राइटेरिया रेगुलर सैनिक...

जम्मू-कश्मीर के रामगढ़ सेक्टर में पाकिस्तानी गोलीबारी में BSF जवान शहीद

रामगढ़ जम्मू में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाक रेंजर्स की गोलीबारी में एक बीएसएफ जवान की मौत हो गयी। जम्मू-कश्मीर में...

2023 की गर्मी ने तोड़े सारे रिकॉर्ड, ग्लोबल वार्मिंग ढाने लगी कहर

नई दिल्ली ग्लोबल वार्मिंग की वजह से गर्मी लगातार बढ़ती जा रही है। द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, इस...

भारत में पेटेंट फाइलिंग में हुई तेजी से वृद्धि, PM मोदी ने ट्वीट कर जताई खुशी

नई दिल्ली भारत में पेटेंट आवेदनों में बहुत तेजी से वृद्धि हो रही है। इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने...

अभी और सस्ता हो सकता है गैस सिलेंडर, जानिए क्या है सरकार का प्लान

नईदिल्ली देश में अगले साल आम चुनाव होने हैं। गैस उपभोक्ताओं को इसका फायदा मिल सकता है। सरकार प्रधानमंत्री उज्ज्वला...

जंगली हाथी की पूंछ खींचना शख्स को पड़ा भारी, हो सकती है 7 सात की जेल

भुवनेश्वर जंगली हाथी की पूंछ खींचना एक शख्स को भारी पड़ गया। दरअसल, वन विभाग ने ओडिशा के अंगुल जिले...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।