छत्तीसगढ़

माँ के गर्भ में पल रहे बच्चे पर कोरोना वैक्सीन का कितना असर? देश में पहली बार होगा शोध, भोपाल एम्स को मिली मंजूरी

भोपाल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल कोरोना वैक्सीन से होने वाले प्रभाव को लेकर अध्ययन करेगा। इसका फोकस मां...

वनडे विश्व कप 2023: फाइनल में धीमी पिच पर होगी भारत और ऑस्ट्रेलिया की भिड़ंत

अहमदाबाद. वनडे विश्व कप 2023 का फाइनल मुकाबला रविवार को भारतीय क्रिकेट टीम और ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के बीच नरेंद्र...

राजस्थान में केवल हिन्दू-मुस्लिम पर बोलकर भाजपा नेता चले जाते है – पवन खेड़ा

जयपुर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मीडिया एवं पब्लिसिटी विभाग के चेयरमेन पवन खेड़ा ने कहा है कि राजस्थान विधानसभा...

World Cup 2023 Prize Money: 1983, 2011 में इतनी थी टीम इंडिया के चैम्प‍ियंस की प्राइज मनी! 2023 में मिलेंगे 33 करोड़ों रुपए… छप्परफाड़ है इनामी राश‍ि

अहमदाबाद World Cup 1983, 2011, 2023 Prize Money Comparison: 1983 में जब कपिल देव की अगुवाई में भारतीय टीम ने...

World Cup 2023: काफी पहले से की थी तैयारी, सबकी भूमिका स्पष्ट; वर्ल्ड कप फाइनल से पहले रोहित शर्मा ने क्या कहा?

नई दिल्ली भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच वर्ल्ड कप 2023 का फाइनल मुकाबला रविवार (19 नवंबर) को अहमदाबाद के नरेंद्र...

खरगे व गहलोत अस्पताल में भर्ती इंजीनियर से म‍िले, भाजपा को बताया दलित विरोधी

नई दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को यहां के एसएमएस अस्पताल में दलित इंजीनियर...

इस अस्पताल के पीछे क्यों पड़ा इजरायल, अगले कुछ घंटों में खाली कर दो अल-शिफा

गाजा इजरायली सेना ने शनिवार को गाजा स्थित अल-शिफा अस्पताल को "अगले घंटे" में खाली करने का आदेश दिया है।...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।