छत्तीसगढ़

चीन की खस्ताहाल इकॉनमी विदेशी निवेशक निकाल रहे अपना पैसा

बीजिंग चीन की खस्ताहाल इकॉनमी का हाल किसी से छिपा नहीं है। कोरोना महामारी और लॉकडाउन की सख्त पाबंदियों ने...

कलेक्टर विकास मिश्रा ने वनग्राम सिलपिडी, तांतर और चाड़ा में वितरित किये गर्म कपडे़

डिण्डौरी कलेक्टर  विकास मिश्रा ने जिले में शीत लहर के चलते वनग्राम सिलपिड़ी, तांतर और चाड़ा में ग्रामीणों से मुलाकात...

पूल के किनारे मोनोकिनी पहन भोजपुरी स्टार नेहा मलिक ने इंटरनेट पर शेयर किया बोल्ड लुक, फोटोज देख यूजर्स के उड़े होश

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चुनाव आयोग ने बीआरएस उम्मीदवार की आत्महत्या की ‘धमकी’ पर रिपोर्ट मांगी

हैदराबाद चुनाव आयोग ने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के उम्मीदवार कौशिक रेड्डी द्वारा मतदाताओं को दी गई कथित धमकी पर...

इंदौर 20 सालों में बन चुका है भाजपा का गढ़, कांग्रेस यहां कभी नहीं बना पाई बढ़त

इंदौर मालवा निमाड़ की 66 सीटों में इंदौर जिले की 9 सीटें काफी मायने रखती है। इन 9 सीटों पर...

प्रदेश में नए साल में कई आईपीएस अफसरों की पदस्थापना में फेरबदल

भोपाल प्रदेश में नए साल में कई आईपीएस अफसरों की पदस्थापना में बदलाव नजर आने वाला है। जनवरी में अफसरों...

अदलात परिसर में वकीलों की वेषभूषा में घूमने वाले नकली वकीलों के खिलाफ चलेगी मुहिम

इंदौर जिला न्यायालय परिसर में वकील की वेषभूषा में घूमने वाले नकली वकीलों के खिलाफ जिला न्यायालय के वकील मुहिम...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।