छत्तीसगढ़

IED ब्लास्ट में घायल CRPF कोबरा बटालियन का जवान रायपुर रेफर, चॉपर से भेजा गया…

छत्तीसगढ़ में मतदान शुरू हो चुका है. मतदान के बीच ही नक्सलियों द्वारा आईडी बास्ट किए जाने की भी खबर...

अधिकारियों के बाद अब हमारी बहनों को धमका रही कांग्रेस: CM शिवराज

भोपाल  विधानसभा चुनाव में कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला नहीं कर पा रही है, इसलिए अब धमकी देने पर...

एएसआई अमित दीक्षित पर मामला दर्ज, युवती के साथ मारपीट करने का है आरोप, पहले भी हो चुके है निलंबित

शहडोल पुलिस लाइन में पदस्थ सहायक उप निरीक्षक (एम) अमित दीक्षित के खिलाफ कोतवाली थाने में मारपीट का मामला दर्ज...

छत्तीसगढ़ में पहले चरण का मतदान जारी, एक बजे तक 44 प्रतिशत से ज्यादा हुआ मतदान…

छत्तीसगढ़ में पहले चरण की 20 सीटों पर वो​टिंग जारी है। दोपहर 1 बजे तक इन सीटों पर 44.55 प्रतिशत...

प्रियंका गांधी बोली- इंदौर का खाना लाजवाब पर मैं खा नहीं सकती…

इंदौर प्रियंका गांधी Priyanka Gandhi सोमवार को इंदौर में थीं। जनसभा के दौरान उन्होंने इंदौर के भोजन की जमकर तारीफ...

केंद्रीय मंत्री ने दुष्कर्म को लेकर कांग्रेस साकार को जमकर घेरा

जालोर. राजस्थान के जालोर जिले के सांचौर में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की कांग्रेस को घेरते हुए...

छत्तीसगढ़ में प्रथम चरण मतदान शुरू, कारीगुंडम में 23 साल बाद हो रही वोटिंग

 कांकेर छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के पहले चरण में मतदान चल रहा है। पहले चरण के तहत 20 सीटों पर मतदान...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।