छत्तीसगढ़

पाकिस्तान पहुँचा कंगाली की कगार पर ! चीन ने बैठाया भट्ठा, जानें अब किससे कर्ज मांग रहा पाक

कराची पड़ोसी देश पाकिस्तान की अर्थव्यवस्ता नाजुक दौर से गुजर रही है. पाकिस्तान में छाए आर्थिक संकट कका जिम्मेदार चीन...

WC इतिहास के 12 फाइनल में कौन रहा ‘प्लेयर ऑफ द मैच’, किन खिलाड़ियों ने जीते टूर्नामेंट

नईदिल्ली 1975 से 202023 तक आईसीसी विश्व कप विजेताओं की सूची: आईसीसी विश्व कप, या आईसीसी पुरुष क्रिकेट विश्व कप,...

प्रियंका गांधी चुनाव के दौरान मनोरंजन के लिए मध्य प्रदेश आती हैं : मुख्यमंत्री चौहान

भोपाल  मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा चुनाव प्रचार के दौरान फिल्मी...

गाजा में 75 सालों की सबसे बड़ी तबाही; UN से भी नहीं देखी जा रही बदहाली

तेल अवीव गाजा पट्टी पर इजरायल के ताबड़तोड़ हमले बीते सवा महीने से लगातार जारी हैं। इन हमलों में अब...

देश बल्कि विदेशों से भी लड़कियों के जरिए ड्रग्स स्मगलिंग का कारोबार चल रहा -रिपोर्ट

भोपाल पंजाब सप्लाई के लिए काफी मशहूर रहा, लेकिन अब ड्रग्स के काले कारोबार का धंधा दिल्ली, राजस्थान और मध्यप्रदेश...

राहुल गांधी की तेलंगाना में हुंकार- कांग्रेस के तूफान में उड़ेंगे KCR और फिर दिल्ली में जाएगी मोदी सरकार

नई दिल्ली कांग्रेस नेता राहुल गांधी का कहना है कि तेलंगाना में के. चंद्रशेखर राव की सरकार कांग्रेस के तूफान...

केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने राज्य सरकार पर लगाया आरोप, कहा- इनकी वजह से आत्महत्या करने को मजबूर किसान

सबरीमाला हाल ही में कुट्टनाड क्षेत्र में एक धान किसान की आत्महत्या को लेकर केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने केरल...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।