छत्तीसगढ़

पूरे छत्तीसगढ़ में मनाया छठ महापर्व, डूबते-उगते सूर्यदेव को दिया अर्घ्य

रायपुर. सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा रविवार और सोमवार को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में धूमधाम से मनाया गया।...

गाजा को बचाने के लिए चीन के पीछे एकजुट हो रहा मुस्लिम जगत!

बीजिंग  दुनियाभर के मुस्लिम देशों को प्रतिनिधि गाजा में जारी संघर्ष का समाधान ढूंढ़ने के लिए सोमवार को चीन पहुंचे...

ट्रेविस हेड को बताया था ऑस्ट्रेलिया का ‘फ्यूचर सुपरस्टार’, शेन वॉर्न का 7 साल पुराना ट्वीट वायरल

नई दिल्ली भारतीय क्रिकेट टीम का साल 2023 में अगर कोई सबसे बड़ा दुश्मन है तो वह ट्रेविस हेड हैं।...

विश्व कप में इंडिया के हारने पर बोले शिवराज सिंह चौहान, ‘हार-जीत तो खेल का हिस्सा है लेकिन…’

भोपाल आईसीसी वर्ल्ड कप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को हराकर छठी बार ये खिताब हासिल कर लिया है. वहीं...

दशमी पर शाजापुर में धूमधाम से होगा कंस का वध, 10 फीट ऊंचा पुतला सिंहासन पर बिठाया

शाजापुर कार्तिक माह की दशमी पर होने वाले अनूठे आयोजन कंस वधोत्सव की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा...

20 नवंबर को खेसारी लाल से लेकर अक्षरा सिंह तक ने धूमधाम से छठ का महापर्व मनाया

बिहार छठ पूजा बिहार का बेहद खास और अहम त्योहार रहा है। इस बार यह त्योहार 17 नवंबर को शुरू...

छत्तीसगढ़ में महिलाओं का 50 क्षेत्रों में मतदान ज्यादा

रायपुर. छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा क्षेत्रों में से 50 विधानसभा क्षेत्रों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने ज्यादा मतदान...

प्रदेश में चुनाव खत्म होते ही 6 दिसंबर से शुरू होंगी अर्ध वार्षिक परीक्षाएं, जारी हुआ टाइम टेबल

भोपाल मध्य प्रदेश में चुनावी मतगणना के तीन दिन बाद ही यहां छात्रों की अर्ध वार्षिक (Mid Term Exam) परीक्षाएं...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।