छत्तीसगढ़

भोपाल गैस त्रासदी: Dow Chemicals के खिलाफ जिला कोर्ट में सुनवाई आज, पीड़ितों को 39 साल वर्ष से न्याय का इंतजार

भोपाल भोपाल गैस हादसे का नाम सुनकर आज भी लोग की रूह कांप जाती है। इस हादसे में हजारों लोगों...

शासकीय सेवकों के वेतन का भुगतान हर माह की एक तारीख को किया जाए

 धार  जिला कोषालय अधिकारी श्री मानसिंह डामर ने समस्त आहरण संवितरण अधिकारियों से कहा है कि वे माह की 28...

BOLERO ने रचा इतिहास! पहली बार अमरनाथ गुफा तक पहुंची कोई गाड़ी

श्रीनगर भारत में कई ऑटो और ड्राइविंग प्रेमी उत्तरी भारत में हिमालय की खतरनाक भौगोलिक परिस्थितियों के बीच बनी सड़कों...

गुरु पर्व के लिए सतनामी समाज की तैयारी शुरू, बैठक 26 को

रायपुर सतनामी समाज की दिसम्बर में होने वाली गुरु घासीदास की जयंती की तैयारियों को लेकर संयुक्त बैठक 26 नवंबर...

देश में कोई असामान्य या नयी बीमारी सामने नहीं आई : चीनी अधिकारी

जिनेवा  विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा चीन से श्वसन संबंधी बीमारियों और निमोनिया के मामलों में संभावित चिंताजनक वृद्धि के...

ब्लैक बॉडीकॉन आउटफिट पहन नेहा मलिक कैमरे के सामने हुई बोल्ड, सिजलिंग अदाओं से खींचा फैंस का ध्यान

ब्लैक बॉडीकॉन आउटफिट पहन नेहा मलिक कैमरे के सामने हुई बोल्ड, सिजलिंग अदाओं से खींचा फैंस का ध्यान मुंबई खेसारी...

गुरु नानक देव की जयंती पर सिख तीर्थयात्रियों के लिए पाकिस्तान ने जारी किए 3000 वीजा

गुरु नानक देव की जयंती पर सिख तीर्थयात्रियों के लिए पाकिस्तान ने जारी किए 3000 वीजा इस्लामाबाद  गुरु नानक देव...

छत्तीसगढ़ चैम्बर आफ कामर्स साथी परियोजना में निभाएगा महत्वपूर्ण भूमिका

रायपुर इंदिरा गाँधी कृषि विश्व विद्यालय रायपुर में साथी परियोजना के क्रियान्वयन के संबंध के एक महत्वपूर्ण बैठक संचालक अनुसंधान...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।