छत्तीसगढ़

उज्‍जैन में कार्तिक मास में भगवान महाकाल की दूसरी सवारी निकली

उज्‍जैन कार्तिक-अगहन माह में सोमवार को भगवान महाकाल की दूसरी सवारी निकाली गई। सभा मंडप में विधिवत पूजन के बाद...

टैक्स मसले पर ब्रिटेन ने भारतीय वाहन उद्योग से मांगी मदद

ब्रिटेन भारत और ब्रिटेन के बीच जिस मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर चर्चा चल रही है, उसमें ब्रिटिश कार कंपनियों...

तीन माह से मूल्यांकन के इंतजार में धूल खा रही विद्यार्थियों की थीसिस

भोपाल बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में शोध के कार्य को ज्यादा प्राथमिकता नहीं दी जा रही है। क्योंकि करीब तीन माह से...

IPL 2024 से पहले गुजरात टाइटंस ने बनाया कप्तान, शुबमन गिल को मिली बड़ी जिम्मेदारी

नई दिल्ली फ्रेंचाइजी द्वारा हार्दिक पांड्या की ट्रेड के जरिए मुंबई इंडियंस में वापसी की पुष्टि के बाद शुबमन गिल...

भोजपुरी फिल्मों की स्टार अक्षरा सिंह ने फिल्मों में जलवे दिखाने के बाद राजनीति में की एंट्री

बिहार भोजपुरी फिल्मों की स्टार अक्षरा सिंह को लेकर एक बड़ी खबर आ रही है। एक्टिंग और सिंगिंग की दुनिया...

श्रीलंका के लोगों को लुभा रहा चीन, चर्च-मंदिरों में बंटवा रहा राशन

श्रीलंका   श्रीलंका में भारत और अमेरिका द्वारा बुनियादी ढांचे, विकास में बढ़ते निवेश और लोगों का झुकाव देख चीन...

मैं बड़े मंच पर देश का प्रतिनिधित्व करने का और इंतजार नहीं कर सकती : सुनेलिता टोप्पो

नई दिल्ली. 16 वर्षीय फॉरवर्ड सुनेलिता टोप्पो, जो कुछ समय से लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रही है,...

मतगणना की तैयारियां पूरी, उम्मीदवार और काउंटिंग एजेंट ट्रेनिंग के बाद अपने-अपने क्षेत्रों में लौटे

भोपाल विधानसभा चुनाव की काउंटिंग को लेकर कांग्रेस एक-एक कदम फूंक कर रख रही है। इसके तहत की कांग्रेस ने...

You may have missed

” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।