छत्तीसगढ़

*पूरे छत्तीसगढ़ में सबसे कम उम्र की समाज सेविका कुमारी विजय श्री स्वामी*

*पूरे छत्तीसगढ़ में सबसे कम उम्र की समाज सेविका कुमारी विजय श्री स्वामी*   रायपुर - प्रदेश की सबसे बड़ी...

पूरे छत्तीसगढ़ में सबसे कम उम्र की समाज सेविका कुमारी विजय श्री स्वामी  रायपुर – प्रदेश की सबसे बड़ी सामाजिक व साहित्यिक संस्था वक्ता मंच द्वारा कुमारी विजय श्री स्वामी को सम्मानित किया गया 

पूरे छत्तीसगढ़ में सबसे कम उम्र की समाज सेविका कुमारी विजय श्री स्वामी रायपुर - प्रदेश की सबसे बड़ी सामाजिक...

*“प्रणवात्मकानंद की विश्व प्रसिद्ध किताब के हिन्दी अनुवाद का विमोचन “*

*“प्रणवात्मकानंद की विश्व प्रसिद्ध किताब के हिन्दी अनुवाद का विमोचन “*   आचार्य प्रणवात्माकानंद जी की विश्व प्रसिद्ध किताब “Shri...

*वक्ता मंच के माध्यम से प्रदेश का पहला बाल कवि सम्मेलन संपन्न:* *100 प्रतिभाओं का सम्मान एवं 4 पुस्तकों का विमोचन भी हुआ*

*वक्ता मंच के माध्यम से प्रदेश का पहला बाल कवि सम्मेलन संपन्न:* *100 प्रतिभाओं का सम्मान एवं 4 पुस्तकों का...

*एथेनाल प्लांट बंद के लिए आंदोलन आज 53वे दिन में पहुंचा।मिल का पत्थर साबित होगा।एक जांच अवधि के निर्धारित तिथि पूर्ण,प्रशासन की रहस्यमई चुप्पी।*

*एथेनाल प्लांट बंद के लिए आंदोलन आज 53वे दिन में पहुंचा।मिल का पत्थर साबित होगा।एक जांच अवधि के निर्धारित तिथि...

*परिवर्तन एक शाश्वत सत्य है, लेकिन परिवर्तन कब करें, यही निर्णय ही महत्वपूर्ण है- *डॉ रवि श्रीवास*

  *परिवर्तन एक शाश्वत सत्य है, लेकिन परिवर्तन कब करें, यही निर्णय ही महत्वपूर्ण है- *डॉ रवि श्रीवास*    ...

*वक्ता मंच द्वारा सार्थक दीपावली की मुहिम जारी*

*वक्ता मंच द्वारा सार्थक दीपावली की मुहिम जारी*   रायपुर l अग्रणी सामाजिक व साहित्यिक संस्था वक्ता मंच द्वारा "...

*एथेनाल प्लांट बंद करने आंदोलन का 47वा दिन* *विधायक के वायदा खिलाफी से नाराज आंदोलनकारी विधायक कार्यालय में धरना में बैठेंगे*

*एथेनाल प्लांट बंद करने आंदोलन का 47वा दिन* *विधायक के वायदा खिलाफी से नाराज आंदोलनकारी विधायक कार्यालय में धरना में...

स्व. चंदूलाल चंद्राकर सम्मान से सम्मनित पत्रकार मोहन तिवारी ने वरिष्ठजनों से लिया आशीर्वाद

स्व. चंदूलाल चंद्राकर सम्मान से सम्मनित पत्रकार मोहन तिवारी ने वरिष्ठजनों से लिया आशीर्वाद इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए जाने जाते...

*फिर लाल हुई 130 सी नेशनल हाईवे डोहल की सड़क, बोलेरो ने बाइक सवार दो युवकों को लिया चपेट में मौके पर दोनों की मौत*

*फिर लाल हुई 130 सी नेशनल हाईवे डोहल की सड़क, बोलेरो ने बाइक सवार दो युवकों को लिया चपेट में...

You may have missed

” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।