छत्तीसगढ़

अदाणी ग्रुप शेयरों में शानदार तेजी, मार्केट कैप पहुंचा 11 लाख करोड़ रुपये के पार

मुंबई लंबे वीकेंड के बाद अदाणी ग्रुप के शेयरों में जबरदस्त तेजी है, अदाणी टोटल गैस 19% और अदाणी ग्रीन...

फूल बेचने वाली के घर पहुंचे शिवराज, प्रेमबाई ने CM को भेंट थी सोने की अंगूठी

सीहोर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को सीहोर जिले की बुधनी विधानसभा क्षेत्र के दौरे पर...

श्रीरामराजा सरकार को अब 1-4 के सशस्त्र गार्ड सलामी देंगे

ओरछा बुंदेलखंड की अयोध्या कही जाने वाली भगवान श्री राम राजा सरकार की नगरी ओरछा में स्थित श्री रामराजा मंदिर...

Bigg Boss 17 : क्या बीमारी को लेकर झूठ बोल रही हैं खानजादी? डॉक्टर ने बताया सिंगर का सच

मुंबई बिग बॉस 17 में खानजादी अक्सर अपने फिजिकल दर्द को लेकर शो में बात कर चुकी हैं। सलमान खान...

आशान्वित श्रीचंद ने कहा सूबे में भाजपा सरकार बनेगी

रायपुर उत्तर से भाजपा के पूर्व विधायक श्रीचंद सुंदरानी सूबे में भाजपा की सरकार बनने को लेकर काफी आशान्वित हैं...

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारीराजन ने उज्जैन में मतगणना स्थल का निरीक्षण किया

 उज्जैन मुख्य निर्वाचन पदाधिकारीअनुपम राजन ने  उज्जैन में शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज स्थित मतगणना स्थल पहुंचकर निरीक्षण किया। ईवीएम की सुरक्षा...

जो सीरियल में नहीं दिखाया वो यहां देखिए, अनुज-अनुपमा की कॉलेज लाइफ और वो रोमांटिक मुलाकात

मुंबई   अनुपमा सीरियल को जिन लोगों ने शुरू से फॉलो किया है वो जानते हैं कि धारावाहिक में अनु...

जो बाइडन की सेहत गिरती जा रही, अमेरिका को खतरे में डाल रहे राष्ट्रपति: व्हाइट हाउस के पूर्व डॉक्टर

वाशिंगटन अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडन की ढलती उम्र और गिरती सेहत को लेकर देश में चिंता बढ़ती जा रही है।...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।