छत्तीसगढ़

केन्द्रीय इस्पात राज्यमंत्री श्री साय ने किया शिवानंद एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन का लोकार्पण…

  *केन्द्रीय इस्पात राज्यमंत्री श्री साय ने किया शिवानंद एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन का लोकार्पण* *हमारा भारत आने वाले वर्षो में विश्वगुरू...

बेमेतरा रेस्ट हॉउस में मुख्यमन्त्री डॉ रमन सिंह जी का आगमन हुआ…

*कवर्धा से रायपुर वापसी में कुछ समय के लिए बेमेतरा रेस्ट हॉउस में मुख्यमन्त्री डॉ रमन सिंह जी का आगमन...

गृहमंत्री रामसेवक पैकरा करेंगे करोड़ो के विकासकार्यो का लोकार्पण व शिलान्यास…

साजा *गृहमंत्री रामसेवक पैकरा करेंगे करोड़ो के विकासकार्यो का लोकार्पण व शिलान्यास* *धमधा में सामग्री वितरण कार्यक्रम में होंगे शामिल*...

अब उन्होंने हमसे वार्ता का अधिकार खो दिया :- अविमुक्तेश्वरानन्दः

  अब उन्होंने हमसे वार्ता का अधिकार खो दिया :- अविमुक्तेश्वरानन्दः आज काशी विश्वनाथ मन्दिर के सी.ई.ओ विशाल सिंह  लगभग...

संचार क्रांति योजना से लाभान्वित होंगे 50 लाख लोग – डाॅ. सिंह…

संचार क्रांति योजना से लाभान्वित होंगे 50 लाख लोग - डाॅ. सिंह आवासीय छात्रावास में उत्साह पूर्वक सुनीं गई “रमन...

सड़क सुरक्षा समिति की बैठक संपन्न…

सड़क सुरक्षा समिति की बैठक संपन्न बेमेतरा 08 जुलाई 2018:- छत्तीसगढ़ शासन, परिवहन विभाग तथा माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार...

प्रदेश के शिक्षा मंत्री श्री केदार कश्यप ने किया रोजगार मेले का शुभारंभ…

*प्रदेश के शिक्षा मंत्री श्री केदार कश्यप ने किया रोजगार मेले का शुभारंभ*   आज छत्तीसगढ़ प्रदेश के स्कूल शिक्षा...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।