छत्तीसगढ़

धार जिले में डायनासोर पार्क के पुराने कार्य फिर से करेंगे शुरू, अंचल के लोगों को मिलेगा लाभ

धार जिले के बाग के ग्राम पाड़लिया में निर्माणाधीन डायनासोर पार्क को लेकर जल्द ही कार्य शुरू करने की स्थिति...

नक्सलियों ने ब्लूटूथ साउंड सिस्टम के साथ लगाया बैनर

कांकेर पखांजुर अनुविभाग के बेठियां थाना क्षेत्र अंर्तगत पिव्ही नंबर 93 से मारबेड़ा के बीच नक्सलियों ने 2 दिसंबर से...

तंबाकू के सेवन से बड़ी उम्र के लोग हो रहे हृदयघात के शिकार

ग्वालियर ठंड बढ़ने के साथ ही हृदयघात के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। पिछले एक सप्ताह में जयारोग्य अस्पताल...

जेईसी के विद्यार्थियों को आइआइटी इंदौर में मिलेगा पढ़ने का मौका

जबलपुर शासकीय जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों की पढ़ाई से लेकर उनके रोजगार के लिए इंडियन इंस्टीटयूट आफ टैक्नोलॉजी इंदौर...

बीएसएफ जवानों ने खेत की मेड़ से लावारिस एयरगन किया बरामद

कांकेर रावघाट थाना क्षेत्र अंर्तगत ग्राम भैंसगांव में एक खेत की मेड़ से लावारिस हालत में एक बंदूक बरामद की...

खेतों में रखा धान, खरीदी प्रारंभ नहीं, 50 क्विंटल चोर उठा ले गए

जबलपुर भीटा, उमरिया, कजरवारा, टेमर के किसानों में भारी आक्रोश है। के खेतों में रखी हजारों क्विंटल धान में से...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।