छत्तीसगढ़

‘हिंदुत्व’ और ‘मोदी फैक्टर’ या ‘गहलोत की गारंटी, इसी से फतह होगा अजमेर का सियासी किला

अजमेर ब्रह्मा की नगरी पुष्कर और ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के लिए विख्यात अजमेर में इन दिनों विधानसभा चुनाव...

राहुल गांधी ने जनता से की कांग्रेस को जिताने की अपील, कहा- ‘जो काम शुरू किए हैं उसे दोगुने रफ्तार से करेंगे’

नई दिल्ली कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगर राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी...

कुशासन और भ्रष्टाचार के शिकंजे से बीजेपी ही निकाल सकती है : मोदी

दिल्ली. छत्तीसगढ़ में 17 नवंबर को दूसरे और अंतिम चरण के लिए मतदान होगा। आज प्राचार का अंतिम दिन है...

जबलपुर सांसद राकेश सिंह ने लगाया बड़ा आरोप कहा – पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में हो रहा है शराब और पैसे का वितरण

जबलपुर जबलपुर के सांसद राकेश सिंह ने बड़ा आरोप लगाया है राकेश सिंह ने कहा कि मतदान का दिन नजदीक...

Ind Vs NZ सेमीफाइनल मैच ने तोड़े व्यूवरशिप के सारे रिकॉर्ड, Hotstar पर इतने करोड़ लोगों ने लाइव देखा महामुकाबला

नई दिल्ली क्रिकेट विश्व कप टूर्नामेंट में बुधवार को भारत और न्यूजीलैंड के बीच पहला सेमीफाइनल खेला गया। इस मैच...

‘PM किसान सम्मान’ पर सियासी घमासान, विपक्ष पूछ रहा- एमपी-छत्तीसगढ़ में अभी क्यों दी किस्त

  नई दिल्ली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर के आठ करोड़ से अधिक किसानों के लिए पीएम किसान सम्मान निधि...

निर्दलीय प्रत्याशी प्रताप सिंह आर्य को बड़ी राहत, कोर्ट ने 307 का मुकदमा किया खारिज

महिदपुर उज्जैन जिले की महिदपुर विधानसभा क्षेत्र में जिस तरह चुनावी माहौल चल रहा है और उसी के मद्देनजर आरोप...

You may have missed

” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।