छत्तीसगढ़

आज शाम 6 बजे से इंदौर में मतदान तक शराब दुकानें बंद रहेंगी, 4 लाख की शराब जप्त

भोपाल मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है। इसे देखते हुए आज शाम को...

वर्ल्ड कप 2023: हिटमैन रोहित शर्मा ने बनाया वर्ल्ड कप में छक्कों का वर्ल्ड रिकॉर्ड, क्रिस गेल को छोड़ा पीछे

नई दिल्ली भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रोहित शर्मा ने आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप के इतिहास में एक बड़ा वर्ल्ड...

विश्व कप की असफलता के बाद पीसीबी ने बाबर आजम को कप्तानी से बर्खास्त करने का किया फैसला

कराची  पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) ने बाबर आजम को सभी प्रारूपों से कप्तान पद से हटाने का फैसला किया है।...

घरेलू सितारे सिनेर ने शीर्ष रैंकिंग वाले जोकोविच को हराया

तूरिन  इटली के यानिक सिनेर ने एटीपी फाइनल्स में शीर्ष रैंकिंग वाले नोवाक जोकोविच को पहली बार हराकर अपने घरेलू...

एक लाख 85 हजार से अधिक लोगों पर हुई प्रतिबंधात्मक कार्यवाही

भोपाल मध्यप्रदेश विधानसभा निर्वाचन-2023 की आदर्श आचरण संहिता 9 अक्टूबर से पूरे प्रदेश में प्रभावशील है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम...

केंद्रीय अनुबंध नहीं लेंगे वॉर्नर लेकिन 2025 चैम्पियंस ट्रॉफी तक सफेद गेंद का क्रिकेट खेलते रहेंगे

कोलकाता  सलामी बल्लेबाज डेविड वॉर्नर आस्ट्रेलिया के लिये सफेद गेंद का क्रिकेट खेलते रहेंगे लेकिन अगले साल प्रस्ताव मिलने पर...

बेमेतरा में 2791 वोट पड़े, कर्मचारियों ने किया मताधिकार का प्रयोग

बेमेतरा. जिले में विधानसभा चुनाव की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। निर्वाचन ड्यूटी में लगे 3500 से...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।