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फिल्म सैम बहादुर से विक्की कौशल की नई झलक आई सामने, दिखा दमदार अवतार

फिल्म सैम बहादुर से विक्की कौशल की नई झलक आई सामने, दिखा दमदार अवतार मुंबई मेघना गुलजार के निर्देशन में...

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव: 6447 मतदाताओं ने घर से वोट डालने का किया फैसला

रायपुर छत्तीसगढ़ में 80 वर्ष से अधिक उम्र के तथा दिव्यांग (40 प्रतिशत से अधिक) 6447 मतदाताओं ने वोट डालने...

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अडाणी पावर का शुद्ध लाभ दूसरी तिमाही में नौ गुना से अधिक होकर 6,594 करोड़ रुपये पर

अडाणी पावर का शुद्ध लाभ दूसरी तिमाही में नौ गुना से अधिक होकर 6,594 करोड़ रुपये पर नई दिल्ली  विभिन्न...

विधानसभा चुनाव से पहले एसबीआई ने 1,148 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बेचे

नई दिल्ली  इसी नवंबर में पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों से पहले भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अक्टूबर में कुल...

दिल्ली में घर का सपना होगा पूरा, DDA का धमाका, 11 लाख में घर, पहले आओ- पहले पाओ!

नईदिल्ली दिवाली से पहले दिल्ली विकास प्राधिकरण नई स्कीम लॉन्च करने जा रहा है. अगर आपका मन दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा...

देवास में दिव्यांग और 80 वर्ष से अधिक के मतदाता डाकपत्र से घर से करेंगे मतदान

देवास कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी ऋषव गुप्ता ने प्रेस वार्ता में देवास जिले में विधानसभा निर्वाचन के लिए की...

खतरनाक हुई हवा: दिल्ली-NCR में सांसों का ‘आपातकाल’, स्मॉग का स्वास्थ्य पर भी बुरा असर

नई दिल्ली दिल्ली-एनसीआर में हवा तो पिछले कई दिनों से खराब है, लेकिन अब यह खतरनाक हो चुकी है। गुरुवार...

मैं मां बनना चाहती हूं, पति की रिहाई के लिए हाई कोर्ट पहुंची पत्नी

इंदौर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में एक मामला आया है, जिसमें एक महिला ने याचिका दायर करते हुए मांग की...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।